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कर्ज सस्ता होगा या नहीं, एमपीसी आज करेगा फैसला; 2023 के बाद रेपो रेट में नहीं हुआ बदलाव

देश में कर्ज सस्ता होगा या नहीं इसका फैसला आज मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) सुनाएगी। पिछले ढाई वर्षों से आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि इस बार भी बदलाव की उम्मीद कम दिख रही है। समिति ने पिछली नौ बैठकों में ब्याज दरों को स्थिर रखने का निर्णय लिया था। अभी घरेलू अर्थव्यवस्था को लेकर भी कुछ उल्टे संकेत मिल रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Wed, 09 Oct 2024 07:00 AM (IST)
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ब्याज दरों को लेकर आज आरबीआई करेगा फैसला।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिसंबर, 2018 में आरबीआई गवर्नर का पद संभालने के बाद शुरुआत के चार वर्षों तक डॉ. शक्तिकांत दास की छवि ब्याज दरों को लेकर बाजार व जनता को आश्चर्यचकित करने वाली थी। यानी कई बार उन्होंने तब ब्याज दरें घटाई जब उम्मीद कम थी और तब बढ़ाईं जब इसकी उम्मीद नहीं थी, लेकिन पिछले ढाई वर्षों से इस बारे में वह कोई भी चकित करने वाला काम नहीं कर रहे।

अपना फैसला सुनाएगी एमपीसी

आरबीआई गवर्नर डॉ. दास की अगुवाई में हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पिछली नौ बैठकों में ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला किया गया है। बुधवार (09 अक्टूबर, 2024) को भी एमपीसी तीन दिनों के विमर्श के बाद अपना फैसला सुनाएगी और किसी भी विशेषज्ञ को यह भरोसा नहीं है कि भारत में ब्याज दरों को लेकर डॉ. दास कोई बदलाव करेंगे।

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2023 में रेपो रेट में हुआ था बदलाव

आम जनता के होम लोन, ऑटो लोन व दूसरे कर्ज की दरों को प्रभावित करने वाले रेपो रेट में अंतिम बार बदलाव फरवरी, 2023 में की गई थी। अभी यह 6.50 फीसद है। एचडीएफसी सिक्यूरिटीज के एमडी व सीईओ धीरज रेली का कहना है कि, “रेपो रेट में किसी तरह की कटौती की उम्मीद तो बहुत कम है लेकिन यह हो सकता है कि भविष्य में ब्याज दरों के रुख को लेकर आरबीआई गवर्नर का रवैया बदला हुआ हो। यानी अभी तक वह ब्याज दरों को स्थिर रखने की बात करते रहे हैं लेकिन यह संकेत कि भविष्य में ब्याज दरों में कमी संभव है।''

मंदी के शुरुआती संकेत

धीरज रेली का कहना है कि वैश्विक व घरेलू स्तर पर ही मिले-जुले संकेत मिल रहे हैं। मंदी के भी कुछ शुरुआती संकेत मिल रहे हैं। हालांकि पिछले चार तिमाहियों से महंगाई की दर बहुत ज्यादा अस्थिर नहीं रही है और यह केंद्रीय बैंक की तरफ से निर्धारित लक्ष्य के करीब ही है। इससे उम्मीद है कि महंगाई की दर को लेकर आरबीआई अपने अनुमान में भी कुछ कटौती करेगा।

एमपीसी में होते हैं पांच सदस्य

सनद रहे कि आरबीआई गर्वनर के अलावा एमपीसी में पांच और सदस्य होते हैं। इसमें तीन सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार करती है। पिछले हफ्ते ही वित्त मंत्रालय ने तीन नये सदस्यों डॉ. नागेश कुमार, प्रो. राम सिंह और सौगत भट्टाचार्य की नियुक्ति की है। एमके ग्लोबल फाइनेंशिएल की रिपोर्ट के मुताबिक उक्त तीनों नये सदस्यों की राय बनने में कुछ वक्त लगेगा लेकिन ब्याज दरों में कटौती का समय संभवत: अभी नहीं आया है।

इन फैक्टर का रखना होगा ध्यान

अभी घरेलू अर्थव्यवस्था को लेकर कुछ उल्टे संकेत आ रहे हैं। साथ ही किसी फैसले पर पहुंचने से पहले अमेरिका में मंदी, अमेरिका-चीन के बीच कारोबारी टकराव बढ़ने, अमेरिकी चुनाव को लेकर जारी अस्थिरता के मुद्दे को भी ध्यान में रखना होगा। वैसे भी ब्याज दरों के ज्यादा होने के बावजूद अभी देश में कर्ज की रफ्तार तेज बनी हुई है। एमके ग्लोबल की रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई गवर्नर यह संकेत दे सकते हैं कि दिसंबर, 2024 से ब्याज दरों में नरमी का रुख आ सकता है।

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