भारत-पाक सीमा पर सीजफायर को लेकर क्या है इनसाइड स्टोरी, क्या कह रही मीडिया और जानकार
भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर शांति को लेकर जो सहमति बनी है उसको लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस सहमति के पीछे कोई और भी है जिसको पर्दे के पीछे रखकर काम करवाया गया है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 26 Feb 2021 05:51 PM (IST)
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। भारत पाकिस्तान के बीच डीजीएमओ स्तर की वार्ता के बाद जिस सीजफायर का एलान किया गया है उसको लेकर हर किसी की जुबान पर एक ही सवाल है कि आखिर रातों-रात ऐसा कैसे हो गया। इस सवाल के जवाब को तलाशने के लिए अटकलों का बाजार भी काफी गर्म है। दोनों तरफ की मीडिया की बात करें तो काफी कुछ एक ही बातें सामने आ रही हैं। वहीं भारतीय रक्षा जानकार भी कह रहे हैं कि सहमति की तस्वीर इतनी साफ नहीं है जितनी दिखाई जा रही है।
रक्षा विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने दैनिक जागरण से बातचीत में इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया है कि इसमें सेना से इतर भी कुछ अधिकारी शामिल हो सकते हैं। उन्होंने भी मीडिया के हवाले से कहा है कि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान के विशेष सहायक मुईद यूसुफ के बीच वार्ता को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट तौर पर ये नहीं कहा कि ये खबरें सही हैं या गलत, लेकिन इतना जरूर कहा है कि सिर्फ डीजीएमओ अपने स्तर पर ऐसा कोई फैसला लें, इसकी संभावना काफी कम है।
उनका भी मानना है कि इसके पीछे राजनीतिक हलकों में कहीं न कहीं कुछ बातचीत जरूर हुई है, जिसके बाद इसमें दोनों देशोंकी सेनाओं के डीजीएमओ को शामिल किया गया और सहमति की बात सामने आई। वहीं पाकिस्तान के अखबार द डॉन ने अपनी एक खबर में यूसुफ के दो ट्वीट का इस्तेमाल किया है। इसमें यूसुफ ने कहा है कि उनके और डोभाल के बीच इस सहमति को लेकर पर्दे के पीछे किसी तरह की कोई बातचीत नहीं हुई है। उन्होंने अपने ट्वीट में ये भी कहा है कि ये दोनों सेनाओं के डीजीएमओ ने अपने स्तर पर किया है। उन्होंने इस सीजफायर के होने पर अपनी खुशी का इजहार किया है और कहा है कि इससे दोनों तरफ के लोग शांति से रह सकेंगे और जान-माल के नुकसान को रोका जा सकेगा।
सुशांत से ये पूछे जाने पर कि क्या यदि इस समझौते के पीछे कोई सरकार का अधिकारी है तो क्या भविष्य में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक या राजनीतिक स्तर पर कोई वार्ता हो पाएगी, तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। सरीन मानते हैं कि इस तरह की तब्दीली फिलहाल कोई नजर नहीं आती है जिससे इस तरह की संभावनाओं को बल मिले कि आने वाले समय में दोनों देशों के मंत्री या प्रधानमंत्री आमने सामने बैठेंगे और कोई बात करेंगे। उन्होंने सीजफायर को लेकर भी साफ कहा कि इसको लेकर पाकिस्तान की नीयम पहले भी साफ नहीं थी और आगे भी साफ नहीं रहेगी। इसलिए ये सीजफायर लंबे समय तक नहीं चलने वाला है।
पाकिस्तान की मीडिया ने भी इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की है कि आखिर दोनों देशों की सेनाओं के डीजीएमओ की बातचीत अचानक कैसे हुई और कैसे दोनों सहमति पर पहुंच गए और 24-25 फरवरी की रात से ये सीजफायर लागू भी हो गया। पाकिस्तान की मीडिया में ये भी कहा जा रहा है कि यूसुफ की एक ऑडियो क्लिक गुरुवार को काफी वायरल हुई थी। इसमें उन्हें ये कहते हुए सुना गया कि ये सब कुछ पर्दे के पीछे हुआ है और इसके लिए काफी कुछ कवायद की गई है। पाक मीडिया की मानें तो यूसुफ ऐसे पहले अधिकारी हैं जिन्होंने भारतीय चैनल को 2019 में इंटरव्यू दिया था।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि दोनों देशों के बीच डीजीएमओ की बातचीत काफी लंबे समय से नहीं हुई थी। इस वजह से भी बार बार इस सीजफायर और सहमति को लेकर सवाल उठ रहे हैं। खबरों में कहा जा रहा है कि दोनों डीजीएमओ ने बातचीत के लिए हॉटलाइन का इस्तेमाल किया था। इस हॉटलाइन की शुरुआत 1971 में की गई थी। हालांकि इसकी बहाली दोनों देशों के बीच संबंधों पर ही आधारित रही। इस वजह से ज्यादातर ये हॉटलाइन बंद ही रही। 1992 में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक वार्ता के बाद डीजीएमो वार्ता के लिए हॉटलाइन दोबारा शुरू करने पर सहमति बनी थी। इसमें हर सप्ताह हॉटलाइन से बात करने की बात कही गई थी। लेकिन संबंधों में आई गिरावट के बाद इसका भी वही हष्र हुआ।
पाकिस्तान की मीडिया ने भी कहा है कि दोनों देशों के बीच 2003 में हुआ सीजफायर कुछ लंबा चला था। इसके बाद इसमें लगातार मुश्किलें आती रहीं। हालांकि पाकिस्तान ने इसके लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि भारत ने कई बार सीजफायर का उल्लंघन किया। द डॉन ने कहा है कि पुलवामा हमले के दो वर्ष पूरा होने के अवसर के आसपास इस तरह की सहमति का समाने आना सिर्फ एक इत्तफाक नहीं हो सकता है।
अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस सहमति को लेकर दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों के अधिकारी और सेना के बड़े अधिकारियों के बीच वार्ता हुई है। इस वार्ता में कई लोगों को नहीं रखा गया। सुशांत का भी कहना है कि इसमें भारत की तरफ से कोई बड़ा अधिकारी शामिल हुआ है जिसने सरकार के दिशा निर्देशों पर काम किया है। इस व्यक्ति ने पाकिस्तान की सेना के बड़े अधिकारियों से सीधी बात की है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पाकिस्तान शासन और प्रशासन सबकुछ उनके ही हाथों में है और इमरान खान केवल दिखावे के लिए हैं।