जिस Hot Springs और Gogra इलाके से चीन हटाएगा अपनी सेना वो कभी होता था व्यापारियों, अंग्रेजों और पर्यटकों के लिए खास
लदाख के जिस hot spring और gogra इलाके से चीन अपनी सेना के जवानों को पीछे हटाने पर राजी हुआ है वो पूरा इलाका कभी पर्यटकों के लिए खास हुआ करता था। काफी पहले ये व्यापारियों के लिए भी एक अहम रूट था।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 12 Sep 2022 12:10 PM (IST)
दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। भारत और चीन की सेनाएं जिस हाट स्प्रिंग और गोगरा इलाके (Hot Spring and Gogra Region of Ladakh) से पीछे हटने पर राजी हुई हैं उसके कई रणनीतिक मायने हैं। ये इलाका समुद्र तल से करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर है पूर्वी लद्दाख में स्थित है। भारत के लिए ये पूरा इलाका कई मायनों से बेहद खास है। पैंगोंग लेक का फिंगर-4, पैंगोंग सा, गोगरा, गलवन वैली, दौलतबेग ओल्डी सेक्टर और कराकोरम पास ये एक दूसरे से मिलते हुए भारतीय इलाके हैं।
अक्साई चिन है भारत का हिस्सा
जिस जगह से चीन ने अपनी सेना को पीछे हटाने के लिए रजामंदी दी है वो भी भारतीय क्षेत्र है। इस क्षेत्र को चीन ने 1962 की लड़ाई के दौरान भारत से छीन लिया था। आज चीन के कब्जे वाले इस क्षेत्र से तिब्बत शिंजियांग हाईवे जी-219 गुजरता है। चीन के कब्जे वाले इस अक्साई चिन (Aksai Chin) के हिस्से को लेकर भारत ने अपना दावा ठोका हुआ है। भारत के नए नक्शे में समूचे जम्मू कश्मीर को भारत का अंग दिखाया गया है जो इसका इतिहास भी है। इस नए हिस्से में गुलाम कश्मीर और चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन को भी दिखाया गया है।
अंग्रेजों के लिए होती थी शिकार की जगह
हाटस्प्रिंग इलाका कभी अंग्रेजों के लिए शिकार की एक बेहतरीन जगह हुआ करती थी। वर्ष 1800 में महाराजा रणबीर सिंह के कहने पर इस इलाके का विकास किया गया था। 1959 में यहां पर हुए कोंग्का पास हादसे के बाद सीआरपीएफ ने यहां पर अपने कैंप बनाए थे, जिस पर बाद में चीन ने कब्जा कर लिया था। इस पर कब्जे को लेकर दोनों सेनाओं के जवानों के बीच हुई जंग में करीब 10 जवान मारे गए थे। तभी से इस इलाके में इन जवानों की याद में हर वर्ष शहीद दिवस का आयोजन किया जाता है। इन जवानों की याद में 1960 में हाटस्प्रिंग इलाके में पुलिस मैमोरियल भी बनाया गया था। ये यहां पर आज भी है। इससे कुछ दूरी पर आईटीबीपी की बटालियन का कैंप है।