राहुल गांधी के साथ बैठक में बनी सहमति, उत्तराखंड कांग्रेस में हुई सुलह, हरीश रावत ही होंगे पार्टी का चुनावी चेहरा
उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव अभियान का नेतृत्व पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ही करेंगे। रावत की अगुआई में ही कांग्रेस चुनाव लड़ेगी मगर औपचारिक तौर पर उन्हें अभी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया जाएगा।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Fri, 24 Dec 2021 09:34 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव अभियान का नेतृत्व पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ही करेंगे। रावत की अगुआई में ही कांग्रेस चुनाव लड़ेगी, मगर औपचारिक तौर पर उन्हें अभी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया जाएगा। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ राज्य के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में चुनावी रणनीति के संचालन के लिए भी रावत को पूरी छूट देने का फैसला हुआ। इस अहम फैसले के साथ ही उत्तराखंड में चुनाव की बेला में कांग्रेस पर मंडरा रहा सियासी संकट खत्म हो गया है। अपनी बातें मनवाने में कामयाबी हासिल करने के बाद हरीश रावत ने भी हर कदम पर कांग्रेस के गीत गाने और अपने बंधे हाथ खुले जाने का एलान किया।
रावत की नाराजगी वाले ट्वीट से मची हलचल को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व प्रदेश के सियासी संकट को गहरा नहीं होने देना चाहता था। इसीलिए राहुल गांधी ने उत्तराखंड के नेताओं के साथ अपनी ढाई घंटे से अधिक की बैठक के दौरान रावत और अन्य नेताओं से खुलकर चर्चा की। राहुल ने रावत के साथ सबसे पहले अकेले बातचीत की। इसके बाद विधायक दल के नेता प्रीतम ¨सह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल, वरिष्ठ नेताओं प्रदीप टमटा और यशपाल आर्य से भी अलग-अलग मशविरा किया। प्रदेश की चुनावी रणनीति और संगठनात्मक खींचतान की पृष्ठभूमि से रूबरू होने के बाद राहुल ने वरिष्ठ नेताओं को साफ संदेश दिया कि कांग्रेस का चुनावी चेहरा हरीश रावत ही होंगे और वह ही चुनाव में पार्टी के अभियान का नेतृत्व करेंगे।
इस लिहाज से पार्टी की चुनाव रणनीति के संचालन और संगठन की दशा-दिशा का अहम निर्णय भी उनकी देखरेख में होगा और गुटबाजी छोड़ तमाम नेताओं को रावत के साथ सहयोग करना होगा।मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कांग्रेस नेतृत्व ने रावत को यही संकेत दिया कि चुनावी रणनीति का तकाजा है कि मुख्यमंत्री पद का औपचारिक एलान करने से बचा जाए। वैसे रावत को यह परोक्ष संदेश मिल ही गया कि जब पार्टी चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ने जा रही है तो स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी दावेदारी सबसे प्रबल होगी। रावत ने भी बैठक के बाद इस सवाल पर कहा कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव बाद पार्टी नेतृत्व करता है और उत्तराखंड में पिछले कई चुनावों में ऐसा ही हुआ है।
ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व ही चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का फैसला करेगा।बहरहाल, इन फैसलों से साफ है कि हरीश रावत ने अपने ट्वीट से चुनाव को लेकर अपनी सियासी पिच के कील-कांटों को काफी हद तक दूर कर लिया है। कांग्रेस नेतृत्व के पास भी चुनाव की बेला में रावत जैसे कद्दावर नेता पर ज्यादा दबाव बनाने का विकल्प नहीं था। राहुल के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में खुशी का इजहार करते हुए रावत ने कहा, 'कदम-कदम बढ़ाए जा, कांग्रेस के गीत गाए जा।' प्रीतम सिंह के साथ खींचतान के सवाल पर रावत ने कहा कि अब पीछे मुड़कर देखने का वक्त नहीं है, वह भी हमारे पुराने साथी हैं और हम सब मिलकर काम करेंगे। इसके बाद शायरना अंदाज में कहा कि हम कांग्रेस के गीत गाएंगे और मैं कांग्रेस के लिए अपनी जिंदगी लुटाउंगा।
गणेश गोदियाल ने भी हाईकमान के साथ बैठक में रावत की अगुआई में चुनाव मैदान में उतरने के फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का निर्णय चुनाव बाद होगा।सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान राहुल गांधी ने चुनावी सरगर्मियों के बीच रावत के ट्वीट को लेकर आपत्ति भी जताई, साथ ही संगठन और चुनावी रणनीति को लेकर उनकी कई शिकायतों को गौर से सुना। समझा जाता है कि रावत ने उनको भरोसे में लिए बिना प्रदेश कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव और नेता विपक्ष प्रीतम सिंह के चुनावी रणनीति का संचालन करने से लेकर उम्मीदवार तय करने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों पर कड़ा एतराज जताया।मालूम हो कि रावत ने अपने ट्वीट में हाथ-पांव बांधने की बात उठाई थी और इसके जरिये उनका सीधा निशाना यादव पर ही था। इन शिकायतों के मद्देनजर राहुल गांधी के निर्देशों के अनुरूप केसी वेणुगोपाल ने देवेंद्र यादव को उत्तराखंड चुनाव के लिए हाईकमान की ओर से तय सीमा रेखा पार नहीं करने का संदेश दे दिया।