बीच में नहीं बदले जा सकते सरकारी भर्ती के नियम, सुप्रीम कोर्ट का सर्वसम्मति से अहम फैसला
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोक सेवाओं में भर्ती के नियमों को चयन प्रक्रिया के बीच में नहीं बदला जा सकता। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से अपना फैसल सुनाया। सुप्रीम कोर्ट इस विषय पर सुनवाई कर रहा था कि क्या भर्ती प्रक्रिया के दौरान भर्ती नियमों को बदला जा सकता है या नहीं।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम टिप्पणी की। देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि जब तक पहले से निर्धारित न हो तब तक सरकारी नौकरियों के भर्ती नियमों को बीच में नहीं बदला जा सकता है।मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से पहले एक बार 'खेल के नियम' तय हो जाने के बाद उन्हें बीच में नहीं बदला जा सकता।
चयन के नियम मनमाने नहीं बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार होने चाहिए। शीर्ष अदालत ने सर्वसम्मति से कहा कि पारदर्शिता और गैर-भेदभाव सार्वजनिक भर्ती प्रक्रिया की पहचान होनी चाहिए। पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर मौजूदा नियम या विज्ञापन के तहत बदलाव की अनुमति है तो उसे अनुच्छेद 14 की आवश्यकता को पूरा करना होगा और गैर-मनमानेपन के परीक्षण की संतुष्टि के अनुसार होना होगा।
आरजी कर कांड: बंगाल के बाहर ट्रांसफर नहीं होगा केस
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या मामले को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि निचली अदालत के न्यायाधीश के पास सबूतों की जांच करने के बाद आवश्यक महसूस होने पर एक और जांच का आदेश देने की पर्याप्त शक्तियां हैं। अदालत ने इस मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल छठी स्टेटस रिपोर्ट की भी जांच की। मगर कोई टिप्पणी नहीं की। अदालत ने कहा कि अभी जांच चल रही है।
एनटीएफ ने पेश की रिपोर्ट
शीर्ष अदालत ने कहा कि कोलकाता की एक अदालत ने मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ चार नवंबर को आरोप तय किए हैं। मामले में रोजाना सुनवाई 11 नवंबर से शुरू होगी। सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) ने शीर्ष अदालत में अपनी रिपोर्ट पेश की। शीर्ष अदालत ने एनटीएफ की रिपोर्ट को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा करने का निर्देश दिया और सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की। सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल सरकार से राज्य में नागरिक स्वयंसेवकों की भर्ती पर सवाल पूछे थे और उनकी भर्ती और नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ा डेटा मांगा।सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अलग-अलग आराम कक्षों के अलावा सीसीटीवी लगाने और शौचालय बनाने में राज्य की धीमी प्रगति पर असंतोष व्यक्त किया और 15 अक्टूबर तक इसे पूरा करने का आदेश दिया।यह भी पढ़ें: चार साल पहले चुनाव हारने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने अब कैसे दर्ज की ऐतिहासिक जीत? पांच बड़ी वजह आईं सामने
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