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जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रेशन के लिए अब बदल जाएंगे नियम, क्या है Births and Deaths Amendment Bill 2023

केंद्र सरकार का जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक 2023 को 26 जुलाई को लोकसभा में पेश किया गया। अब इसे राज्यसभा में भी पेश करने की तैयारी है। आपके मन में भी सवाल उठ रहे होंगे कि बर्थ सर्टिफिकेट के बारे में विधेयक क्या कहता है? क्या जन्म और मृत्यु पर नजर रखने के लिए आधार को अनिवार्य बनाया जाएगा? आइए आज इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं...

By Achyut KumarEdited By: Achyut KumarUpdated: Mon, 31 Jul 2023 05:20 PM (IST)
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Births and Deaths Amendment Bill 2023 क्या है, इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा?

Registration of Births and Deaths Amendment Bill, 2023: केंद्र सरकार ने लोकसभा में 26 जुलाई को जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया। इस विधेयक में जन्म और मृत्यु का राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय डेटाबेस तैयार करने का प्रस्‍ताव है। यह विधेयक जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 में संशोधन करेगा। आखिर यह विधेयक क्यों लाया गया और इसके कानून बनने पर आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा? आइए, इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं...  

किसने पेश किया विधेयक?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक के लागू होने पर जन्म पंजीकरण के दौरान माता-पिता या अभिभावक के आधार नंबर की आवश्यकता होगी। प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण का लाभ उठाने के लिए, सरकार ने जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्रों के इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण और वितरण के लिए विधेयक में खंड शामिल किए हैं, ताकि सार्वजनिक पहुंच को सुविधाजनक बनाया जा सके।

क्या है विधेयक का प्रमुख उद्देश्य?

  • विधेयक का एक प्रमुख उद्देश्य पंजीकृत जन्म और मृत्यु के लिए राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय डेटाबेस स्थापित करना है। इस पहल से अन्य डेटाबेस के लिए अपडेट प्रक्रियाओं को बढ़ाने, कुशल और पारदर्शी सार्वजनिक सेवाओं और सामाजिक लाभ वितरण को बढ़ावा देने की उम्मीद है।
  • नया कानून जन्म प्रमाण पत्र को किसी व्यक्ति की जन्म तिथि और स्थान के निश्चित प्रमाण के रूप में स्थापित करेगा।
  • नए नियम जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 के प्रारंभ होने या उसके बाद पैदा हुए लोगों पर लागू होगा।
  • प्रमाणपत्र स्कूलों में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने, मतदाता सूची तैयार करने, विवाह पंजीकरण, सरकारी रोजगार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, पासपोर्ट और आधार नंबर जारी करने सहित विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण होगा।
  • इसके अलावा, विधेयक गोद लिए गए, अनाथ, परित्यक्त और सरोगेट बच्चों के साथ-साथ एकल माता-पिता या अविवाहित माताओं के बच्चों के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाएगा।
  • विधेयक लाने का उद्देश्य जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 की 14 धाराओं में संशोधन करना है ।

रजिस्ट्रार को देना होगा मृत्यु का कारण प्रमाणपत्र

एक नए शासनादेश में, सभी चिकित्सा संस्थानों में रजिस्ट्रार को मृत्यु का कारण प्रमाण पत्र प्रदान करना होगा, जिसकी एक प्रति निकटतम रिश्तेदार को दी जाएगी। अंत में, संभावित आपदाओं या महामारी के मद्देनजर बिल मौतों के पंजीकरण और प्रमाणपत्र जारी करने में तेजी लाने के लिए विशेष 'उप-रजिस्ट्रारों' की नियुक्ति का प्रस्ताव करता है।

किन मामलों में अनिवार्य होगा जन्म का पंजीकरण?

विधेयक के प्रावधान में कहा गया है कि ऐसे मामलों में जन्म का पंजीकरण अनिवार्य होगा, जहां जन्म जेल या होटल में हुआ हो। इस मामले में जेलर या होटल के प्रबंधक को आधार संख्या प्रदान करनी होगी। यह प्रावधान गोद लिए गए, अनाथ, परित्यक्त, सरोगेट बच्चे और एकल माता-पिता या अविवाहित मां के लिए बच्चे की पंजीकरण प्रक्रिया में भी अनिवार्य होगा।

नया विधेयक इस बात की वकालत करता है कि रजिस्ट्रार जनरल पंजीकृत जन्म और मृत्यु का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाए रखेंगे, जबकि मुख्य रजिस्ट्रार और रजिस्ट्रार जन्म और मृत्यु से संबंधित राज्यों और स्थानीय क्षेत्राधिकार से डेटा को राष्ट्रीय डेटाबेस में साझा करने के लिए बाध्य होंगे। इस बीच, मुख्य रजिस्ट्रार राज्य स्तर पर एक समान डेटाबेस बनाए रखेंगे। केंद्रीय डेटा भंडार को वास्तविक समय में अपडेट किया जाएगा और सभी व्यक्तिगत डेटाबेस को एक सामान्य प्लेटफार्म पर जोड़ा जाएगा।

आधार की क्या होगी भूमिका?

आधार सरकारी सेवाओं और बैंकिंग सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए जरूरी है। यह जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के लिए भी अनिवार्य होगा। उदाहरण के लिए, जन्म के दौरान जब चिकित्सा अधिकारी जन्म की रिपोर्ट देगा तो माता-पिता और सूचना देने वाले का आधार नंबर देना अनिवार्य होगा।

विधेयक के लागू होने पर क्या होगा?

  • विधेयक के लागू होने के बाद जन्म प्रमाणपत्र का उपयोग जन्म लेने वाले लोगों की जन्म तिथि और जन्म स्थान को साबित करने के लिए किया जाएगा।
  • बर्थ सर्टिफिकेट का उपयोग किसी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश, मतदाता सूची, सरकारी पद पर नियुक्ति और अन्य उद्देश्यों के दौरान भी किया जाएगा। 
  • दस्तावेज का उपयोग प्रवेश, आधार जारी करना, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, मतदाता सूची की तैयारी, विवाह पंजीकरण और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अन्य सरकारी व्यवस्थाओं जैसे उद्देश्यों के लिए भी किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय डेटाबेस को जनसंख्या रजिस्टर, मतदाता सूची, राशन कार्ड और अन्य जैसे समान डेटाबेस बनाए रखने वाले अन्य अधिकारियों के साथ भी साझा किया जाएगा।
  • मेडिकल संस्थानों के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र मुफ्त में जारी करना अनिवार्य होगा।
  • डेथ सर्टिफिकेट के बदले कोई चार्ज नहीं वसूला जाएगा।

विधेयक से क्या फायदा होगा?

एक सामान्य और केंद्रीकृत डेटाबेस जन्म और मृत्यु पंजीकरण प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगा और अन्य एजेंसियों के साथ डेटाबेस साझा करने से दोहराव और ऐसी अन्य त्रुटियों से बचा जा सकेगा। इसका उद्देश्य सभी चिकित्सा संस्थानों के लिए रजिस्ट्रार को मृत्यु के कारण का प्रमाण पत्र और निकटतम रिश्तेदार को उसकी एक प्रति प्रदान करना अनिवार्य बनाना है।

इस विधेयक से पंजीकरण चुनौतियों को दूर करने की भी उम्मीद है, जो निवेश की कमी, सेवाओं की खराब डिलीवरी और केंद्रों पर सीमित कंप्यूटर और इंटरनेट सेवाओं से आती हैं। यह भी माना जा रहा है कि यह बिल मौतों के पंजीकरण को बढ़ाने में सहायक होगा, जो कि ग्रामीण स्तर पर कई मुद्दों के कारण फिलहाल नहीं हो पा रहा है।

डिजिटल जन्म प्रमाणपत्र क्या है?

डिजिटल जन्म प्रमाणपत्र एक एकल दस्तावेज है, जिसका उपयोग किसी व्यक्ति की जन्मतिथि और जन्मस्थान को साबित करने के लिए किया जाता है। इस विधेयक में सभी जन्म और मृत्यु को एक केंद्रीकृत पोर्टल पर पंजीकृत करने का प्रावधान है।

डिजिटल जन्म प्रमाणपत्र के क्या फायदे होंगे?

डिजिटज जन्म प्रमाण पत्र से देश में जन्म तिथि और जन्मस्थान को साबित करने के लिए किसी अन्य दस्तावेज की जरूरत नहीं पड़ेगी। केंद्र सरकार ने डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए यह पहला कदम उठाया है।

विधेयक में प्रावधान किया गया है कि रजिस्‍टर्ड जन्म और मृत्यु का राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय डेटाबेस तैयार किया जाएगा। इसके अलावा, विधेयक में जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र में डिजिटल रजिस्ट्रेशन और इलेक्ट्रॉनिक एग्‍जीक्‍यूशन का भी प्रावधान किया गया है।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 लोकसभा में 26 जुलाई को पेश किया गया। इसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किया था।

जन्म और मृत्यु पंजीकरण संशोधन विधेयक में प्रावधान है कि किसी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने, मतदाता सूची तैयार करने, विवाह का पंजीकरण और सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के लिए जन्म प्रमाणपत्र को एक दस्तावेज के रूप में पेश किया जा सकेगा।

केंद्र सरकार ने बताया कि सामाजिक परिवर्तन और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए कानून में बदलाव जरूरी था। इसीलिए जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 लाया गया।