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घरेलू मामलों में कनाडाई लगातार दे रहे थे दखल, जयशंकर ने अमेरिका व ब्रिटेन के कनाडा का समर्थन करने पर बताई सच्चाई

भारत और कनाडा के बीच जारी तनाव के बीच विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते अभी कठिन दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी समस्याएं कनाडा की राजनीति के कुछ हिस्सों से हैं। जयशंकर ने कहा कि यदि हम कनाडा में अपने राजनयिकों की सुरक्षा में प्रगति देखते हैं तो हम वहां वीजा जारी करना फिर से शुरू करना चाहेंगे।

By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Sun, 22 Oct 2023 11:40 PM (IST)
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भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में तनाव पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया बड़ा बयान (फाइल फोटो)
नई दिल्ली, पीटीआई। India Canada Tension: अमेरिका और ब्रिटेन के कनाडा का समर्थन करने के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर रविवार को स्पष्ट कहा कि राजनयिकों की संख्या में समानता का प्रविधान विएना संधि में है और भारत को कनाडाई कर्मचारियों द्वारा घरेलू मामलों में लगातार दखल देने के कारण इस प्रविधान को लागू करना पड़ा।

विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि वर्तमान में भारत और कनाडा के रिश्ते कठिन दौर से गुजर रहे हैं। भारत को कनाडा में वीजा जारी करने का काम इसलिए रोकना पड़ा क्योंकि लगातार धमकियों व चरमपंथी गतिविधियों की वजह से वहां भारतीय राजनयिकों के लिए काम करना सुरक्षित नहीं था। भारतीय अधिकारियों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में कनाडा की असमर्थता विएना संधि के सबसे बुनियादी पहलू को चुनौती देती है।

'समय के साथ और भी चीजें सामने आएंगी'

एक कान्क्लेव को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, ''पूरा मामला समानता का है कि एक देश में राजनयिकों की संख्या क्या है बनाम दूसरे देश में राजनयिकों की संख्या क्या है। विएना संधि में राजनयिकों की समान संख्या का प्रविधान है जो इस मामले में प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय नियम है। लेकिन अपने मामले में हमने समानता का नियम इसलिए लागू किया क्योंकि हम कनाडाई कर्मचारियों द्वारा हमारे मामलों में लगातार हस्तक्षेप के प्रति चिंतित थे। हमने उसमें से बहुत कुछ सार्वजनिक नहीं किया है। मेरा मानना है कि समय के साथ और भी चीजें सामने आएंगी और लोगों को पता चलेगा कि हमें उनमें से कई लोगों के साथ उस तरह की असुविधा क्यों हुई।''

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कनाडा ने लगाया विएना संधि के उल्लंघन का आरोप

भारत की ओर से राजनयिकों की संख्या की समानता के प्रति चिंता जताने के बाद पिछले हफ्ते कनाडा ने अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया है। उसने चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु स्थित वाणिज्य दूतावासों से वीजा और काउंसलर सर्विसेज भी रोक दी हैं। कनाडा ने कूटनीतिक रिश्तों पर विएना संधि के उल्लंघन का भी भारत पर आरोप लगाया था।

इस वक्त मुश्किल दौर से गुजर रहा कनाडा के साथ रिश्ता

जयशंकर ने कहा, ''यह रिश्ता इस वक्त मुश्किल दौर से गुजर रहा है। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि हमें समस्याएं कनाडा की राजनीति के एक निश्चित वर्ग और उस वर्ग की नीतियों से हैं। अभी लोगों की सबसे बड़ी चिंता वीजा को लेकर है। कुछ हफ्ते पहले हमने कनाडा में वीजा जारी करना बंद कर दिया था क्योंकि हमारे राजनयिकों के लिए वीजा जारी करने के लिए काम पर जाना सुरक्षित नहीं था। उनकी सुरक्षा ही प्राथमिक कारण था जिसके कारण हमें अस्थायी तौर पर वीजा जारी करना बंद करना पड़ा। हम इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।''

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अमेरिका और ब्रिटेन ने कनाडा के राजनयिकों को हटाए जाने पर जताई थी चिंता

विदेश मंत्री ने कहा कि राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना विएना संधि का एक महत्वपूर्ण पहलू है। कनाडा में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा में प्रगति दिखी तो भारत कनाडा के लोगों को वीजा जारी करना फिर से शुरू कर सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्थिति में सुधार होगा और वीजा सेवाएं जल्द फिर से शुरू की जाएंगी। उल्लेखनीय है कि अमेरिका और ब्रिटेन ने शुक्रवार रात भारत में कनाडा के राजनयिकों को हटाए जाने पर न सिर्फ चिंता जताई थी बल्कि कहा था कि भारत को विएना संधि का पालन करना चाहिए।

पश्चिम एशिया के घटनाक्रम का प्रभाव अभी स्पष्ट नहीं

इजरायल-हमास युद्ध और यूक्रेन संघर्ष का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि ये संघर्ष वैश्विक उथल-पुथल के प्रमुख कारण बनकर उभरे हैं और उनका असर नजदीकी भौगोलिक क्षेत्रों से कहीं अधिक दूर तक देखा जा रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में छोटी-छोटी घटनाएं होती रहती हैं जिनके प्रभाव की अनदेखी नहीं की जा सकती। उन्होंने जोर देकर कहा कि पश्चिम एशिया की वर्तमान स्थिति का प्रभाव अभी भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद को लंबे समय से शासन के एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है और ऐसी कोई भी अपेक्षा कि संघर्ष व आतंकवाद के दुष्प्रभाव को रोका जा सकता है, अब तर्कसंगत नहीं है।

एक ध्रुवीय या द्वि-ध्रुवीय विश्व अब पुरानी बात

जयशंकर ने कहा कि एकध्रुवीय विश्व अब पुरानी बात है। अमेरिकी-सोवियत संघ की द्वि-ध्रुवीयता में द्वि-ध्रुवीय विश्व और भी पुरानी बात है। उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका और चीन वास्तव में दो ध्रुव हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया में जो कुछ हो रहा है, वह वास्तव में बहुत कुछ पश्चिम एशिया की आंतरिक गतिविधियां हैं। जयशंकर ने कहा कि प्रमुख क्षेत्रीय ताकतें वास्तव में अतीत की तुलना में क्षेत्रीय स्थितियों में प्रभावी होने जा रही हैं और वे वैश्विक ताकतों या बाहरी ताकतों के लिए उतनी जगह नहीं छोड़ने जा रहीं। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि पहले की तुलना में आज भारत की स्थिति काफी बेहतर है। उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष विघटनकारी प्रभाव पर भी जोर दिया।

हाल के वर्षों में कर्ज में हुई वृद्धि

भू-राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए जयशंकर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कर्ज में वृद्धि देखी गई है जो अक्सर अविवेकपूर्ण विकल्पों, उधार और अपारदर्शी परियोजनाओं के मिश्रण से होती है। उन्होंने कहा कि छोटी अर्थव्यवस्थाओं के लिए बाजार में अस्थिरता कठिन रही है। पर्यटन से अत्यधिक जुड़े देशों ने मंदी के परिणामों को गहराई से अनुभव किया है और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान इस स्थिति से निपटने में पर्याप्त सक्षम नहीं हैं।