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'आतंकियों व पत्थरबाजों के रिश्तेदारों को नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी', गृह मंत्री अमित शाह की सख्त चेतावनी

शाह ने कहा कि पहले कश्मीर में किसी आतंकी के मारे जाने के बाद जनाजा निकाला जाता था लेकिन हमने यह परिपाटी बंद कर दी। हमने सुनिश्चित किया कि आतंकवादी को सभी धार्मिक रिवाजों के साथ सुपुर्दे खाक किया जाए लेकिन किसी निर्जन स्थान पर। उन्होंने कहा कि जब कोई आतंकी सुरक्षा बलों से घिरा होता है तो पहले उसे आत्मसमर्पण का अवसर दिया जाता है।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Mon, 27 May 2024 10:30 PM (IST)
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गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि आतंकी या पत्थरबाजों के परिजनों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी।
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सख्त संदेश देते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर में किसी आतंकी या पत्थरबाजों के परिजनों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। नरेन्द्र मोदी सरकार ने न केवल आतंकियों को निशाना बनाया है बल्कि आतंकी ढांचे को भी नेस्तनाबूद कर दिया है। इससे देश में आतंकी घटनाओं में काफी कमी आई है। साथ ही उन्होंने कहा कि चुनावी बांड योजना को रद करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस लोकसभा चुनाव में काले धन का असर बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि इसके विकल्प पर फैसला लेना होगा।एक विशेष साक्षात्कार में शाह ने कहा, "हमने कश्मीर में फैसला किया है कि अगर कोई किसी आतंकी संगठन से जुड़ जाता है या पथराव की घटनाओं में शामिल रहता है तो उसके परिवार के सदस्यों को कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी।" इस फैसले के खिलाफ मानवाधिकार कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट गए थे, लेकिन अंतत: सरकार की जीत हुई।

हालांकि, शाह ने कहा कि सरकार ऐसे मामलों को अपवाद स्वरूप लेगी जब किसी परिवार से कोई व्यक्ति खुद आगे आकर अधिकारियों को सूचित करेगा कि उसका कोई करीबी रिश्तेदार किसी आतंकी संगठन में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे परिवारों को राहत दी जाएगी। जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी सरकार की नीति एकदम स्पष्ट है।

शाह ने कहा कि पहले कश्मीर में किसी आतंकी के मारे जाने के बाद जनाजा निकाला जाता था लेकिन हमने यह परिपाटी बंद कर दी। हमने सुनिश्चित किया कि आतंकवादी को सभी धार्मिक रिवाजों के साथ सुपुर्दे खाक किया जाए लेकिन किसी निर्जन स्थान पर। उन्होंने कहा कि जब कोई आतंकी सुरक्षा बलों से घिरा होता है तो पहले उसे आत्मसमर्पण का अवसर दिया जाता है।

उन्होंने कहा, "हम उसकी मां या पत्नी आदि किसी परिजन को बुलाते हैं और उनसे कहते हैं कि आतंकवादी से आत्मसमर्पण की अपील करें। अगर आतंकी नहीं सुनता तो फिर मारा जाता है।" उन्होंने कहा कि हमने एनआईए के माध्यम से आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है और इसे समाप्त कर दिया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू कश्मीर में 2018 में आतंकवाद की 228 घटनाएं सामने आई थीं और 2023 में यह संख्या घटकर करीब 50 रह गई। इसी तरह सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच 2018 में मुठभेड़ की 189 घटनाएं घटीं और 2023 में इनकी संख्या 40 के आसपास रह गई। साल 2018 में आतंकवाद से जुड़ी विभिन्न घटनाओं में करीब 55 आम नागरिक मारे गए थे। यह संख्या 2023 में घटकर पांच रह गई।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बांड योजना रद करने के मसले पर गृह मंत्री ने कहा, "मेरा मानना है इससे चुनाव और राजनीति में काले धन का प्रभाव बढ़ेगा। जब राजनीतिक दल इस वित्तीय वर्ष का हिसाब-किताब जमा करेंगे तो पता चल जाएगा कि कितना पैसा नकद चंदा है और कितना चेक से दिया गया है। बांड योजना के समय चेक से दान का आंकड़ा 96 प्रतिशत तक पहुंच गया था।"

शाह ने कहा कि अगर काले धन का प्रभाव बढ़ता है तो एक विकल्प तलाशा जाना चाहिए। इस पर संसद में चर्चा करनी होगी। हमें सभी दलों से विचार-विमर्श करना होगा। उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद से उसका रुख भी बहुत महत्वपूर्ण है। अटार्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से भी परामर्श लेना होगा। हमें सामूहिक रूप से विचार-विमर्श करना होगा और नए विकल्प पर निर्णय लेना होगा।

'तीन साल में होगा मुकदमों का फैसला'

गृह मंत्री शाह ने कहा कि एक जुलाई से प्रभाव में आने वाले तीन नए आपराधिक कानूनों के लिए प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण कारक होगी, क्योंकि इनके तहत एसएमएस के जरिये समन जारी किए जाएंगे। 90 प्रतिशत गवाह वीडियो काल के माध्यम से पेश होंगे और अदालतें प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर आदेश जारी करेंगी।

शाह ने कहा, "मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि तीन साल बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली दुनिया की सबसे आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली होगी।" बता दें कि तीन नए कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से प्रभावी होंगे।

शाह ने बताया कि अधिकारियों ने पिछले पांच साल में देश में नौ करोड़ अपराधियों के फिंगर प्रिंट लिए हैं। यदि अपराध किसी आदतन अपराधी ने किया है तो पुलिस किसी अपराध स्थल से फिंगर प्रिंट लेने के बाद साढ़े सात मिनट के भीतर फिंगर प्रिंट के डाटा बेस से उसकी पहचान कर सकेगी।