दुर्लभ बीमारियों के महंगे इलाज से मुक्ति, भारत ने बनाई सस्ती दवा; 13 में से सात की दवाई तैयार
टाइरोसिनेमिया टाइप-ए। लीवर की एक दुर्लभ बीमारी। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर पिछले साल जुलाई में दुर्लभ बीमारियों का सस्ता इलाज निकालने पर काम शुरू किया गया। विशेषज्ञों और डाक्टरों से गहन विचार-विमर्श के बाद 13 ऐसी दुर्लभ बीमारियों की पहचान की गई जिनके मरीजों की संख्या अन्य दुर्लभ बीमारी वाले मरीजों से अधिक पाई जाती है।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 24 Nov 2023 09:00 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। टाइरोसिनेमिया टाइप-ए। लीवर की एक दुर्लभ बीमारी। एक लाख की जनसंख्या में सिर्फ एक व्यक्ति को होने की आशंका, लेकिन यदि किसी को हो जाए तो इलाज उससे भी दुर्लभ। इसकी दवा कनाडा से मंगानी पड़ती है और जिसे लेने का सालाना खर्च 2.2 करोड़ रुपये आता है, लेकिन अब इसका इलाज भारत में ही बनी दवा से हो सकेगा, जिसपर सिर्फ 2.5 लाख रुपये का सालाना खर्च आएगा।
13 दुर्लभ बीमारियों की हुई पहचान
भारत में बनी यह दवा बाजार में आ चुकी है। इस तरह की कुल सात दुर्लभ बीमारियों के लिए चार दवाई भारत में बननी शुरू हो चुकी है और चार अन्य दवाएं अगले पांच-छह महीने में आ जाएगी। सरकार ने कुल 13 दुर्लभ बीमारियों की पहचान की है और उनका सस्ता इलाज सुलभ कराने का बीड़ा उठाया है।
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर पिछले साल जुलाई में दुर्लभ बीमारियों का सस्ता इलाज निकालने पर काम शुरू किया गया। विशेषज्ञों और डाक्टरों से गहन विचार-विमर्श के बाद 13 ऐसी दुर्लभ बीमारियों की पहचान की गई, जिनके मरीजों की संख्या अन्य दुर्लभ बीमारी वाले मरीजों से अधिक पाई जाती है।
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इसके बाद सरकार, रिसर्च व नियामक संगठनों और निजी कंपनियों के साथ बातचीत कर इनके इलाज के लिए सस्ती दवा बनाने पर बात शुरू हुई और एक साल के भीतर ही सात दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए सस्ती भारतीय दवा को सफलता मिली। इनमें विल्सन डिजीज के इलाज के लिए विदेश से आने वाली दवा की कीमत 1.8 करोड़ से 3.6 करोड़ रुपये है। भारतीय कंपनी ने तीन से छह लाख कीमत वाली दवा बाजार में उतार दी है।
इन बीमारियों का ढूंढा जा रहा सस्ता इलाज
पॉल ने कहा कि इन दवाइयों के मरीजों तक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भरोसेमंद सप्लाई चैन तैयार किया जा रहा है। स्मॉल मालिक्यूल्स ड्रग्स से इलाज की जाने वाली सात बीमारियों के लिए सस्ती भारतीय दवा उपलब्ध कराने के बाद अब जीन थरेपी से इलाज की जाने वाली तीन दुर्लभ बीमारियों और एनजाइम थरेपी से इलाज की जाने वाली चार दुर्लभ बीमारियों का सस्ता इलाज ढूंढने पर काम चल रहा है। इनमें पेटेंट दवाओं के मामले में संबंधिक विदेशी कंपनी से भी बात की जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि दुर्लभ बीमारियों के लिए सस्ती दवाई बनाकर भारत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह सिर्फ लाभ कमाने के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता की सेवा के लिए काम करता है। उन्होंने कहा,
भारत में बनी इन दवाओं से सिर्फ देश में मरीजों का सस्ता इलाज संभव नहीं होगा, बल्कि पूरी दुनिया को इसका फायदा मिलेगा और कई देशों ने तो भारत से संपर्क करना भी शुरू कर दिया है।