उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद तमिलनाडु के स्कूलों में मतांतरण का मुद्दा गर्म, मद्रास हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा यह सवाल
तमिलनाडु के स्कूलों में मतांतरण का विवाद गर्म है। मद्रास हाई कोर्ट ने पूछा कि सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों में मतांतरण रोकने के लिए राज्य को गाइडलाइंस बनाने के निर्देश देने से क्या नुकसान होगा। पढ़ें यह रिपोर्ट...
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sat, 07 May 2022 01:39 AM (IST)
चेन्नई, आइएएनएस। मद्रास हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद तमिलनाडु के स्कूलों में मतांतरण का विवाद गर्मा गया है। हाई कोर्ट ने गुरुवार को टिप्पणी की, 'सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों में मतांतरण रोकने के लिए राज्य को गाइडलाइंस बनाने के निर्देश देने से क्या नुकसान होगा।' अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है।
मद्रास हाई कोर्ट की जस्टिस आर. महादेवन और जस्टिस एस. अनंती की अवकाशकालीन पीठ गुरुवार को अधिवक्ता बी. जगन्नाथ की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में जगन्नाथ ने राज्य सरकार को यह निर्देश दिए जाने की मांग की है कि वह प्रभावी गाइडलाइंस बनाए और सुधारात्मक कदमों समेत सभी आवश्यक कदम उठाए। याचिकाकर्ता ने अदालत से राज्य सरकार को कड़े कदम उठाने और सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में जबरन मतांतरण को प्रतिबंधित करने के निर्देश देने की भी मांग की है।
सरकार ने यह कहते हुए उनकी दलीलों का विरोध किया कि याचिकाकर्ता सिर्फ दो घटनाओं के आधार पर बड़ा मुद्दा बना रहे हैं। अतिरिक्त महाधिवक्ता जे. रविंद्रन ने कहा, 'सरकारी स्कूलों या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में अगर मतांतरण की घटना हुई तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी। याचिकाकर्ता ने दो घटनाओं का हवाला दिया है और इन घटनाओं में कड़ी कार्रवाई की गई थी और साजिशकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।'
दरअसल, तंजावुर अल्पसंख्यक स्कूल में 11वीं की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी। उसने आरोप लगाया था कि स्कूल की एक वार्डन नन ने उसे मतांतरण के लिए मजबूर किया था। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि जब उसने इन्कार कर दिया तो वार्डन ने उसे छोटे-मोटे काम करने के लिए मजबूर किया और इससे उसकी पढ़ाई भी प्रभावित हुई।कन्याकुमारी जिले में एक छात्रा ने हाल ही में एक अध्यापिका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि वह उसे बाइबल पढ़ने के लिए मजबूर कर रही थी और भगवान शिव समेत हिंदू देवी-देवताओं को छोटा बता रही थी। तमिलनाडु की भाजपा इकाई का कहना है कि सरकार को सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में जबरन मतांतरण के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए।