ब्रिटिश राज से निकलकर अरबपतियों के राज में पहुंच गया है भारत: रिपोर्ट
एक अध्ययन में यह बात सामने निकलकर आई है कि भारत में आय में असमानता तेजी से बढ़ रही है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। साल 1922 के बाद से भारत में असमानता की खाई सबसे ज्यादा गहरी हुई है। 1922 में भारत में पहली बार आय कर कानून की कल्पना की गई थी। दो फ्रांसीसी अर्थशास्त्रियों थोमा पिकेती और लुका सॉंसेल की ओर से जारी नए रिसर्च पेपर में कहा गया है कि देश की महज एक प्रतिशत आबादी की आमदनी देश की कुल 22 प्रतिशत आबादी की आय के बराबर है।
'भारतीय आय असमानता, 1922-2014: ब्रिटिश राज से अरबपति राज?' नाम से जारी इस शोधपत्र में कहा गया है, '1930 के दशक के अंत तक शीर्ष 1 फीसदी जनसंख्या का कुल आमदनी के 21 प्रतिशत से कम हिस्से पर कब्जा था जो 1970 से लेकर 1980 में घटकर 6 फीसदी रह गया, लेकिन आज फिर से 22 प्रतिशत पर पहुंच गया है।'
इस शोधपत्र से यह पता चलता है कि कि 1980 और 2014 के बीच फ्रांस और चीन की टॉप 0.1 फीसदी आबादी की आय में सबसे निचले पायदान की 50 प्रतिशत आबादी की आय से 6 गुना तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं भारत में शीर्ष पायदान पर काबिज एक फीसदी लोगों की आमदनी 13 अधिक है जबकि अमेरिका में यह 77 गुना है।
पिकेती और सॉंसेल के इस ताजा शोध से एक बार फिर भारत में आय की असमानता को लेकर बहस छिड़ सकती है। दोनों अर्थशास्त्रियों ने आय असमानता को वैश्विक प्रकृति माना है, लेकिन यह भी कहा कि 'भारत की असमानता की गति काफी तेज है। यह शीर्ष की एक प्रतिशत आबादी और बाकी लोगों की आर्थिक वृद्धि में सबसे ज्यादा अंतर वाला देश है।'
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