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Republic Day 2024: 75वें गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ से 'भारत का शंखनाद', पहली बार परेड की शुरुआत मिलिट्री बैंड की जगह शंख और नगाड़े से हुई

देश के 75वें गणतंत्र दिवस पर दुनिया ने कर्तव्य पथ पर भारत की सैन्य ताकत के साथ-साथ पारंपरिक संगीत हथकरघा कला व संस्कृति की साफ्ट पावर भी देखी। परेड की शुरुआत भी इस बार अलग रही। पहली बार इसका प्रारंभ मिलिट्री बैंड की जगह शंख और नगाड़े जैसे देश के विभिन्न हिस्सों के पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज से हुई।

By Jagran News Edited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Fri, 26 Jan 2024 10:04 PM (IST)
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देश के 75वें गणतंत्र दिवस पर परेड की शुरुआत इस बार अलग रही।
पीटीआई, नई दिल्ली। देश के 75वें गणतंत्र दिवस पर दुनिया ने कर्तव्य पथ पर भारत की सैन्य ताकत के साथ-साथ पारंपरिक संगीत, हथकरघा कला व संस्कृति की साफ्ट पावर भी देखी। परेड की शुरुआत भी इस बार अलग रही। पहली बार इसका प्रारंभ मिलिट्री बैंड की जगह शंख और नगाड़े जैसे देश के विभिन्न हिस्सों के पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज से हुई।

'आह्वान' के केंद्र में आते ही समारोह का पूरा माहौल संगीतमय हो गया। 112 महिला कलाकारों वाले इस प्रतिष्ठित बैंड ने विभिन्न लोक और आदिवासी वाद्ययंत्रों को बेहद कुशलता से बजाया, जो महिलाओं की ताकत और कौशल का एक शक्तिशाली प्रतीक बन गया। इन दौरान 20 कलाकारों ने महाराष्ट्र के ढोल और ताशा की लयबद्ध ताल का प्रदर्शन किया, जबकि 16 कलाकारों ने तेलंगाना के पारंपरिक डप्पू को जीवंत कर दिया।

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आठ कलाकार शंख बजा रहे थे

बैंड में बंगाल से ढाक और ढोल बजाने में निपुण 16 कलाकार भी शामिल थे, आठ कलाकार शंख बजा रहे थे। 10 कलाकारों ने केरल के पारंपरिक ड्रम चेंडा और 30 कलाकारों ने कर्नाटक के ऊर्जावान ढोलू कुनिथा का प्रदर्शन किया। चार-चार कलाकार नादस्वरम, तुतारी और झांझ बजा रहे थे।कर्तव्य पथ पर 'अनंत सूत्र' के नाम से देश के हर कोने से लाई गईं 19 हजार साडि़यों एवं पर्दों को भी प्रदर्शित किया गया। इन्हें लकड़ी के फ्रेम के सहारे ऊंचाई पर लगाया गया था। इनमें क्यूआर कोड भी लगाए गए ताकि उन्हें स्कैन कर उनमें इस्तेमाल की गई बुनाई एवं कढ़ाई कला के बारे में विवरण प्राप्त किया जा सके।

झांकी में प्राण प्रतिष्ठा को दर्शाया गया

इन साड़ियों में 150 वर्ष पुरानी एक साड़ी भी शामिल रही। भगवान रामलला की कलात्मक छवि भी कर्तव्य पथ पर प्रदर्शित की गई। उत्तर प्रदेश की झांकी के अगले हिस्से में 22 जनवरी को अयोध्या में हुई रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को दर्शाया गया।

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अधिकारियों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की झांकी अयोध्या को ऐसे शहर के रूप में दर्शाती है जो विकसित भारत के साथ-साथ समृद्ध विरासत की भी प्रतीक है। झांकी के एक हिस्से में दो साधुओं को कलश के साथ दिखाया गया, जो प्रयागराज में आगामी माघ मेले और 2025 में होने वाले महाकुंभ का प्रतीक है।