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Climate Change: अगर तीन डिग्री तापमान बढ़ा तो हिमालय के 90 प्रतिशत हिस्से में पड़ेगा सूखा, शोधकर्ताओं ने दी चेतावनी

ग्लोबल वार्मिंग से दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन का संकट खड़ा हो गया है। इसके असर से भारत भी अछूता नहीं है। एक हालिया अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि यदि तापमान तीन डिग्री सेल्सियस बढ़ा तो हिमालय के 90 प्रतिशत क्षेत्र को साल भर सूखे का सामना करना पड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्ष के लिए आठ अध्ययनों का विश्लेषण किया।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Thu, 29 Feb 2024 09:01 PM (IST)
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दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन का संकट। (फाइल फोटो)

पीटीआई, नई दिल्ली। ग्लोबल वार्मिंग से दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन का संकट खड़ा हो गया है। इसके असर से भारत भी अछूता नहीं है। एक हालिया अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि यदि तापमान तीन डिग्री सेल्सियस बढ़ा तो हिमालय के 90 प्रतिशत क्षेत्र को साल भर सूखे का सामना करना पड़ सकता है। जबकि ग्लोबल वार्मिंग की सीमा 1.5 डिग्री तक सीमित रखने से भारत में कृषि क्षेत्र में सूखे के खतरे को 21 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने क्या कहा?

क्लाइमेट चेंज जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि पेरिस समझौते के तहत 1.5 डिग्री वैश्विक तापमान लक्ष्य से भारत में गर्मी के तनाव के मानव जोखिम को 80 प्रतिशत कम किया जा सकता है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजिला (यूईए) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में ग्लाबल वार्मिंग से जलवायु परिवर्तन के जोखिम और उससे मानव और प्राकृतक प्रणाली पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया गया।

आठ अध्ययनों का विश्लेषण

शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्ष के लिए आठ अध्ययनों का विश्लेषण किया। सभी में भारत, ब्राजील, चीन, मिस्त्र, इथियोपिया और घाना पर फोकस किया गया था। अध्ययन में देखा गया कि कैसे तापमान में हर अतिरिक्त डिग्री की बढ़ोतरी से सूखे और बाढ़ का जोखिम भी बढ़ गया और फसलों को काफी नुकसान पहुंचा। इसके अलावा जैवविविधता भी प्रभावित हुई। शोध दल ने पाया कि ग्लोबल वार्मिंग की सीमा 1.5 डिग्री तक सीमित करने से देश की जैवविविधता के नुकसान को आधा रोका जा सकता है।

कृषि क्षेत्र पर ज्यादा असर

शोधकर्ताओं ने कहा कि तीन डिग्री ग्लोबल वार्मिंग से सबसे अधिक नुकसान की आशंका कृषि क्षेत्र को है। भारत व ब्राजील जैसे देशों का पचास प्रतिशत से अधिक कृषि क्षेत्र इससे प्रभावित हो सकता है। कहा, इन देशों में एक से तीस वर्ष तक गंभीर सूखे का खतरा हो सकता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि छह देशों में गंभीर सूखे के कारण मानव जोखिम में होने वाली वृद्धि में 3 डिग्री सेल्सियस की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस पर 20 से 80 प्रतिशत कम हो सकती है। शोध दल ने कहा कि अध्ययन छह देशों के जोखिम पर केंद्रित है लेकिन यह कई अन्य देशों में समान रूप से लागू हो सकता है।