Supreme Court: बार एसोसिएशन में महिलाओं का आरक्षण प्रयोग के तौर पर पायलेट प्रोजेक्ट, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अगर कोई दिक्कत आती है तो...
वरिष्ठ वकील जयंत भूषण ने स्पष्ट करते हुए कहा कि एससीबीए की चिंता सिर्फ इतनी है कि क्या कोर्ट उसके संविधान को निर्देशित कर सकता है। पीठ ने चुनाव प्रक्रिया शुरू होने की सराहना करते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ है जबकि कोर्ट ने सुधारों का आदेश दिया हो। कोर्ट ने कहा कि आप बार एसोसिएशन की सर्वोच्च इकाई हैं। पूरा देश आपकी ओर देख रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया कि उसका दो मई का सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के चुनाव में महिलाओं के आरक्षण का आदेश प्रायोगिक तौर पर पायलेट प्रोजेक्ट है और उसे लागू करने में अगर कोई दिक्कत आती है तो उसे कोर्ट के समक्ष रखा जा सकता है। ये बात न्यायमूर्ति सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ ने सोमवार को एससीबीए की ओर से मामले का जिक्र किये जाने के बाद कही।
जनरल बॉडी मीटिंग सात मई को
दो मई को कोर्ट ने एससीबीए में एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने का आदेश दिया था और इसी वर्ष के चुनाव में उसे लागू कर दिया था। इस आदेश के अगले ही दिन एससीबीए ने प्रस्ताव पारित किया था। सोमवार को एससीबीए की ओर से पेश वकील ने कहा कि कोर्ट के आदेश पर विचार के लिए जनरल बॉडी मीटिंग मंगलवार सात मई को बुलाई गई है।
संविधान का पालन
इस पर पीठ ने कहा कि वह आदेश सहमति पर पारित किया गया था। बार एसोसिएशन के प्रेसीडेंन्ट ने आदेश का स्वागत किया था। पीठ ने कहा कि हम महिला सशक्तीकरण की बात करते हैं। संविधान की बात करते हैं। सबसे नीचे स्तर को आरक्षण की बात करते हैं और बार एसोसिएशन कह रही है नहीं नहीं हम भारतीय संविधान का पालन नहीं करेंगे, अपने संविधान का पालन करेंगे।संवैधानिक प्रावधानों का सम्मान
वरिष्ठ वकील जयंत भूषण ने स्पष्ट करते हुए कहा कि एससीबीए की चिंता सिर्फ इतनी है कि क्या कोर्ट उसके संविधान को निर्देशित कर सकता है। पीठ ने चुनाव प्रक्रिया शुरू होने की सराहना करते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ है जबकि कोर्ट ने सुधारों का आदेश दिया हो। कोर्ट ने कहा कि आप बार एसोसिएशन की सर्वोच्च इकाई हैं। पूरा देश आपकी ओर देख रहा है। अगर आप संवैधानिक प्रावधानों का सम्मान नहीं करेंगे तो कौन करेगा।
अन्य सुधारों के साथ विचार संभव
पीठ ने कहा कि एसोसिएशन को सुधार लाने चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने आदेश लिखाया कि एससीबीए के पदाधिकारियों द्वारा मौखिक रूप से मामले का उल्लेख किये जाने पर यह स्पष्ट किया जाता है कि 2 मई का आदेश प्रयोग के तौर पर पायलेट प्रोजेक्ट है उस आदेश में दिये गए सुधार लागू करने में अगर कोई दिक्कत आती है तो उसे रिकॉर्ड पर रखा जाएगा और कोर्ट एससीबीए द्वारा सुझाए गए अन्य सुधारों के साथ उस पर विचार करेगा।पदाधिकारियों से परामर्श
तभी एससीबीए के अध्यक्ष डाक्टर आदिश अग्रवाला ने अन्य पदाधिकारियों से परामर्श करके बताया कि सात मई को बुलाई गई बैठक निरस्त कर दी गई है। एससीबीए के सचिव रोहित पांडेय ने बार की स्वायत्तता का मुद्दा उठाया जिसे कोर्ट ने हंस कर यह कहते हुए टाल दिया कि फिर कभी इस पर विचार करेंगे।यह भी पढ़ें: बार एसोसिएशन में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए रखें आरक्षित, 2024-25 के चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश