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EWS Reservation: ईडब्ल्यूएस आरक्षण बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ख‍िलाफ समीक्षा याचिका दायर

एमपी कांग्रेस के एक नेता ने EWS को लेकर केंद्र के फैसले को बरकरार रखने के खिलाफ SC में समीक्षा याचिका दायर की है। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10% आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था।

By AgencyEdited By: Amit SinghUpdated: Wed, 23 Nov 2022 04:21 PM (IST)
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EWS पर केंद्र के फैसले के खिलाफ SC में समीक्षा याचिका दायर
नई दिल्ली, एएनआई: मध्य प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने ईडब्ल्यूएस को लेकर केंद्र के फैसले को बरकरार रखने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की है। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था।

SC की संविधान पीठ ने सुनाया था फैसला

बीती 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण को वैध बताते हुए, इससे संविधान के उल्‍लंघन के सवाल को नकार दिया था। सरकार के साथ विपक्ष ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सराहा था। साथ ही इसे मोदी सरकार का एक और महत्‍वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी ईडब्ल्यूएस को आरक्षण दिए जाने के फैसले का ‍स्वागत किया है। हालांकि, चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच संदस्यीय बेंच ने 3-2 से ये फैसला सुनाया है। इससे यह साफ हो गया कि केंद्र सरकार ने 2019 में 103वें संविधान संशोधन विधेयक के जरिए जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को शिक्षा और नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की थी, संविधान का उल्‍लंघन नहीं है।

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पांच में से तीन जजों ने जताई थी सहमति

सुप्रीम कोर्ट की पांच संदस्यीय बेंच ने 3-2 से EWS आरक्षण को लेकर फैसला सुनाया है। इसमें जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने EWS आरक्षण के समर्थन में अपनी सहमति जताई थी। उन्होंने कहा था कि आर्थिक आधार पर दिया जाने वाला आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का किसी भी रूप में उल्लंघन नहीं करता है। ईडब्ल्यूएस आरक्षण समानता संहिता का उल्लंघन नहीं करता। वहीं, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण का को जायज ठहराया है। उन्होंने कहा कि वह जस्टिस माहेश्वरी के साथ सहमत हैं। सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस कोटा वैध और संवैधानिक है। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण का समर्थन किया था। उन्‍होंने कहा था कि ईडब्‍ल्‍यूएस आरक्षण में को आपत्ति नहीं है। मैं जस्टिस माहेश्वरी और जस्टिस त्रिवेदी के फैसले के साथ हूं। हालांकि, EWS कोटा को अनिश्चितकाल के लिए नहीं बढ़ाना चाहिए।

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