Move to Jagran APP

देशी तकनीक से चावल की खेती की, बन गया ब्रांड

पारंपरिक खेती को छोड़कर शुरू किया प्रयास, आज रामलाल का सरनेम भतपहरी बन गया चावल का ब्रांड...

By Srishti VermaEdited By: Updated: Thu, 07 Dec 2017 09:11 AM (IST)
Hero Image
देशी तकनीक से चावल की खेती की, बन गया ब्रांड

धमतरी (राममिलन साहू)। चावल की पारंपरिक खेती को छोड़कर रामलाल ने जब अपने सरनेम भतपहरी के नाम से धान की नई किस्म उगानी शुरू की तो करिश्मा हो गया। दरअसल इस करिश्मे के पीछे रामलाल भतपहरी का गहरा देशी अनुसंधान काम कर रहा था। अपने अनुभव से रामलाल ने भतपहरी धान की इतनी प्रजातियां खड़ी कर दीं कि देखते ही देखते यह चावल अपने आप में खास ब्रांड बन गया। यह पेट के रास्ते लोगों के दिलों में उतर गया। बाजार की बात करें तो आज रामलाल का भतपहरी चावल पाने के लिए आपको संघर्ष करना होगा। इसके लिए सोर्स-सिफारिश भी लगानी पड़ेगी। यकीन मानिए, यह आम चावल नहीं है कि जो बर्तन में गया, थोड़ी सुगंध फैलाई और बात खत्म। अगर भतपहरी का चावल खाने के बाद आप घंटों उसकी चर्चा न करें तो फिर बात ही क्या।

सब इसके दीवाने : छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री-अधिकारियों के घरों मे यही चावल बनता है। देश की कई नामी फूड चेन कंपनियां और पंचतारा होटलें रामलाल से भतपहरी चावल प्रदान करने की गुजारिश करती हैं। दुबई के होटल हयात में भी फैली है भतपहरी की सुगंध।

पारंपरिक विधि छोड़ किया अभिनव प्रयोग : वस्तुत: धान के लिहाज से छत्तीसगढ़ की धरती धन्य और यहां के किसान मूर्धन्य हैं। बासमती भले न हो, लेकिन हर दिल अजीज और स्वाद में लजीज यहां का चावल पूरी दुनिया में चाव से खाया जाता है। पारंपरिक किस्मों को छोड़ दें तो पिछले कुछ वर्षों में भतपहरी प्रजाति की ख्याति सात समंदर पार तक पहुंच गई है। अपनी खास खुशबू, स्वाद और औषधीय गुणों से भरपूर भतपहरी चावल के जन्मदाता हैं कोड़ेबोड़ गांव के किसान रामलाल भतपहरी। लगभग 70 वर्षीय रामलाल के गांव कोड़ेबोड़ पहुंचने के लिए आपको धमतरी मुख्यालय से कुरुद ब्लॉक पहुंचना होगा।

वहां से 11 किलोमीटर दूर स्थित है कोड़ेबोड़ गांव। वैसे धमतरी में रामलाल का नाम ही काफी है उनके घर तक पहुंचने के लिए। रामलाल ने अपने सरनेम भतपहरी के नाम से एक समिति भी बनाई है और उसमें कई किसानों को जोड़ रखा है। रामलला भतपहरी, वैसे तो कुछ साल पहले तक धान की खेती पारंपरिक विधि से ही करते थे, लेकिन उद्यानिकी विभाग के संपर्क में आने के बाद उन्होंने रासायनिक खादों से तौबा कर जैविक विधि का सहारा लिया। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह और अपने तजुर्बों के आधार पर उन्होंने खुद धान की नई पौध तैयार की, नित नई-नई किस्में ईजाद करते गए।

अनेक खूबियां: यह कम पानी में भी अधिक उपज देती है। इसमें कार्बोहाइट्रेड और जिंक की मात्रा अन्य प्रजातियों से ज्यादा होती है जबकि स्टार्च न के बराबर। रामलाल ने इस धान में खुशबू फैलाने वाले जीन विकसित किए हैं। भतपहरी औषधीय गुणों से युक्त और मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी है। इसपर कृषि विज्ञानियों ने भी मुहर लगाई है।

दो मिनट में तैयार : रामलाल बताते हैं, इस वर्ष 21.75 एकड़ खेत में सुगंधित धान की जैविक पद्धति से फसल ली। इनमें भतपहरी की जंवाफूल, बादशाह भोग, विष्णु भोग, शीतल भोग, गोपाल भोग, तरुण भोग, नगरी दुबराज, कस्तूरी, तिल कस्तूरी, कारी कमोट, कलिंग, बीपीटी, श्रीराम, विजयमासुरी आदि सहोदर किस्में हैं। ये सभी औषधीय गुणों से युक्त हैं। रामलाल बताते हैं कि बिरयानी बनाने में भतपहरी का कोई सानी नहीं। सामान्य तौर पर खौलते पानी में भतपहरी को डालते ही सिर्फ दो मिनट में उबलकर चावल तैयार हो जाता है।

-देश-विदेश में हैं मांग
-दुबई की पांच सितारा होटलों में हो रहा इस्तेमाल
-औषधीय गुणों से भरपूर, कम पानी में अधिक उपज
-मुधमेह के लिए है रामबाण

यह भी पढ़ें : महिला जज का सवाल, दुष्कर्म के झूठे आरोप से बचाने वाला कानून कहां