टीवी, फ्रिज और मोबाइल की रिपेयरिंग का झंझट खत्म, सरकार के इस प्लान से लोगों के बचेंगे हजारों रुपए
उपभोक्ताओं को उनके खरीदे गए सामान पर अधिकार दिलाने के लिए सरकार 'राइट टू रिपेयर' योजना ला रही है। इसके तहत, कंपनियां उत्पादों की मरम्मत की जानकारी देंगी, जिससे मोबाइल, टीवी जैसे उपकरण खराब होने पर उन्हें बदलना न पड़े। एक रिपेयरिंग इंडेक्स बनेगा, जिससे उपभोक्ता रिपेयरिंग की आसानी जान सकेंगे। इसके लिए लोगो डिजाइन प्रतियोगिता भी शुरू की गई है।

मोबाइल रिपेयरिंग: अब आसान होगा उपकरणों की मरम्मत! (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उपभोक्ताओं को खरीदे गए सामान पर असली हक दिलाने की दिशा में बड़ी पहल हो रही है। मोबाइल, टीवी, ट्रैक्टर और फ्रिज या अन्य उपकरणों के खराब होने पर अब नया खरीदने की मजबूरी नहीं होगी। जल्द ही जानकारी मिलेगी कि कौन-सा उत्पाद कितनी आसानी से और कम खर्च में रिपेयर हो सकता है।
इस मिशन में जनभागीदारी बढ़ाने के लिए उपभोक्ता मंत्रालय ने लोगो डिजाइनिंग प्रतियोगिता प्रारंभ की है, जिसका उद्देश्य रचनात्मक विचारों को एकत्रित करना है। इसके लिए राइट टू रिपेयर पोर्टल पहले ही लांच किया जा चुका है।
प्रतियोगिता माई-गो और नेशनल ला यूनिवर्सिटी दिल्ली के सहयोग से शुरू हुई है। यह 16 वर्ष या उससे अधिक के सभी भारतीय नागरिकों के लिए खुली है। प्रतिभागी अपना मौलिक डिजाइन 30 नवंबर 2025 तक माई-गो पोर्टल पर भेज सकते हैं। विजेता को 25 हजार रुपये का इनाम मिलेगा और चयनित लोगो को आधिकारिक तौर पर अपनाया जाएगा।
कंपनिया छिपाती है रिपेयर की जानकारी
अधिकांश कंपनियां अपने उपकरणों को इस तरह बनाती हैं कि अगर कोई हिस्सा खराब हो जाए तो पूरा सामान बदलना पड़ता है। स्पेयर पार्ट्स महंगे होते हैं और रिपेयर की जानकारी छिपाई जाती है।
सरकार चाहती है कि अब कंपनियां बताएं कि किसी प्रोडक्ट को रिपेयर करना कितना आसान है। इसके लिए एक इंडेक्स बनेगा, जिसमें एक से 10 के बीच अंक दिए जाएंगे। जितना ज्यादा स्कोर, उतना आसान रिपेयर होगा। यह स्कोर पैकेट या आनलाइन डिस्प्ले पर भी दिखेगा, ताकि उपभोक्ता खरीदने से पहले तय कर सके कि कौन-सा ब्रांड बेहतर होगा। शुरुआती दौर में यह इंडेक्स पांच क्षेत्रों में लागू किया जाएगा।
देश के आम लोगों को होगा सीधा फायदा
मोबाइल फोन और टैबलेट, घरेलू उपकरण, आटोमोबाइल और कृषि मशीनें एवं अन्य उपभोक्ता उत्पाद। इससे किसानों से लेकर शहरी ग्राहकों तक हर वर्ग को फायदा होगा। उदाहरण के लिए किसी किसान का ट्रैक्टर पार्ट यदि खराब हो जाए तो उसे नया ट्रैक्टर नहीं खरीदना पड़ेगा, बल्कि वह आसानी से उसे रिपेयर करा सकेगा।
देश में हर साल लाखों टन ई-वेस्ट (इलेक्ट्रानिक कचरा) पैदा होता है। मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर और होम एप्लायंसेज फेंके जाते हैं, क्योंकि उनकी मरम्मत महंगी या असंभव होती है। सरकार का मानना है कि अगर लोग अपने पुराने सामान को सही ढंग से रिपेयर करा सकें तो यह न केवल पैसे की बचत करेगा बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान से बचाएगा।

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