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यमुना, नर्मदा और झेलम सहित 13 नदियों का होगा संरक्षण, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने संभाला जिम्मा, जारी हुआ डीपीआर

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने फैसला किया है कि यमुना नर्मदा झेलम और महानदी सहित देश की 13 प्रमुख नदियों का संरक्षण किया जाएगा। इसके लिए मंत्रालय की ओर से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जारी कर दी गई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Tue, 15 Mar 2022 12:19 AM (IST)
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सरकार ने यमुना, नर्मदा, झेलम और महानदी समेत 13 नदियों के संरक्षण का फैसला किया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गंगा को स्वच्छ बनाने के अभियान को मिली शुरुआती सफलता के बाद केंद्र ने अब यमुना, नर्मदा, झेलम और महानदी सहित देश की 13 प्रमुख नदियों के संरक्षण का भी फैसला लिया है। इसका जिम्मा फिलहाल वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने संभाला है। इसने 24 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से होकर बहने वाली इन नदियों के वानिकी के जरिये संरक्षण की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की है। इस पर आने वाले वर्षों में करीब 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है।

राज्यों पर होगी जिम्‍मेदारी

इस पूरी योजना को लागू करने की जिम्मेदारी राज्यों पर होगी जबकि केंद्र इस पर निगरानी रखेगा। खास बात यह है कि इस पूरी योजना को भविष्य की चुनौतियों से निपटने सहित काप-26 में जताई गई प्रतिबद्धता को पूरा करने से जोड़कर भी देखा जा रहा है। इसके तहत वर्ष 2030 तक भारत ने अपने अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को एक अरब टन कम करने सहित 2070 तक कार्बन उत्सर्जन नेट जीरो करने का लक्ष्य रखा है।

दोनों किनारों पर होगा पौधारोपण

ऐसे में वानिकी के जरिये 13 नदियों के संरक्षण की जो योजना बनाई गई है, उसके तहत नदियों के दोनों किनारों पर सघन पौधारोपण किया जाएगा। इससे वन क्षेत्र में 7,417 वर्ग किमी क्षेत्रफल की वृद्धि होने की उम्मीद है। साथ ही अगले 10 वर्षों में पौधारोपण से करीब 50.21 मिलियन टन कार्बन डाई आक्साइड को सोखने में मदद मिलेगी। वहीं 20 वर्षों में 74.76 मिलियन टन कार्बन डाई आक्साइड को सोखने में मदद मिलेगी। डीपीआर के मुताबिक, इससे प्रति वर्ष 1,887 घन मीटर ग्राउंड वाटर रिचार्ज व 64 हजार वर्ग घनमीटर मिट्टी के क्षरण में भी कमी आएगी।

जारी हुआ डीपीआर

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को 13 नदियों के संरक्षण से जुड़ा डीपीआर जारी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि इन 13 प्रमुख नदियों के साथ इनकी सहायक करीब 202 नदियों के संरक्षण को भी इस मुहिम में शामिल करना होगा। सहायक नदियों के संरक्षण के बगैर यह काम सफल नहीं हो सकेगा। इस मुहिम को सफल बनाने के लिए उन्होंने जनजागरण पर जोर दिया।

इन 13 नदियों का होगा संरक्षण

जिन 13 प्रमुख नदियों के संरक्षण का डीपीआर तैयार किया गया है, उनमें झेलम, सतलुज, चिनाव, रावी, व्यास, यमुना, ब्रह्मपुत्र, लूनी, नर्मदा, गोदावरी, महानदी, कृष्णा और कावेरी शामिल हैं।

पौधारोपण के अलग-अलग माडल

प्रत्येक नदी के लिए उसके क्षेत्र के हिसाब से संरक्षण का अलग-अलग प्लान बनाया गया है। इनमें पौधारोपण की अलग-अलग विधियां प्रस्तावित की गई हैं। 13 नदियों के लिए 667 उपचार और पौधारोपण माडल प्रस्तावित किए गए हैं। 

नर्मदा से की जा सकती है शुरुआत

संकेत दिया कि इसकी शुरुआत नर्मदा से की जा सकती है। इस मौके पर मौजूद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गंगा नदी के संरक्षण को लेकर चल रही मुहिम का जिक्र किया और कहा कि नमामि गंगे से पहले भी गंगा को स्वच्छ बनाने की कई योजनाएं चलाई गई थीं। लेकिन जनभागीदारी न होने के चलते योजनाएं विफल रहीं। उन्होंने दावा किया कि गंगा नदी मौजूदा समय में दुनिया की 10 सबसे स्वच्छ नदियों में एक है। हालांकि, हमारी कोशिश इसे दुनिया की सबसे स्वच्छ नदी का दर्जा दिलाने तक जारी रहेगी। कार्यक्रम को वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने भी संबोधित किया।