सड़क दुर्घटनाओं की अब हर महीने होगी समीक्षा, मंत्रालय ने हादसों की रिपोर्टिंग के लिए अपना तंत्र किया तैयार
सड़क दुर्घटनाओं के मामले में निराशाजनक तस्वीर से चिंतित केंद्र सरकार अब हादसों की हर महीने समीक्षा करेगी। यह भी संभव है कि नई व्यवस्था में महीने के आधार पर सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े भी सार्वजनिक किए जाएं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हादसों की रिपोर्टिंग का अपना जो तंत्र तैयार कर लिया है वह सटीक भी है और कम समय लेने वाला भी।
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। सड़क दुर्घटनाओं के मामले में निराशाजनक तस्वीर से चिंतित केंद्र सरकार अब हादसों की हर महीने समीक्षा करेगी। यह भी संभव है कि नई व्यवस्था में महीने के आधार पर सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े भी सार्वजनिक किए जाएं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हादसों की रिपोर्टिंग का अपना जो तंत्र तैयार कर लिया है, वह सटीक भी है और कम समय लेने वाला भी।
हर महीने की घटनाओं की होगी समीक्षा
मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार पिछले साल सितंबर तक की दुर्घटनाओं का ऑडिट इसी माह पूरा हो जाएगा और इसके बाद बाकी तीन महीनों के लिए भी यही कवायद की जाएगी। इसके बाद रियल टाइम रिपोर्टिंग के साथ हर महीने पिछले माह की घटनाओं की समीक्षा की जाने लगेगी। यह इसलिए अहम है, क्योंकि सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी कई बार अपने मंत्रालय में डाटा विश्लेषण में वर्षों की देरी को लेकर अपनी नाखुशी जता चुके हैं।
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विश्लेषण में देरी पर नितिन गडकरी की नाराजगी
केंद्रीय मंत्री गडकरी का कहना है कि दुर्घटनाओं के विश्लेषण में छह-सात साल की देरी का कोई मतलब नहीं है। ऐसा विश्लेषण होना या न होना बराबर है। मंत्रालय ने अपने स्रोतें से दुर्घटनाओं का जो आंकड़ा और विवरण जुटाया है, वह राज्यों की पुलिस की ओर से मिले ब्योरे से मिलता-जुलता है। गौरतलब है कि अभी केंद्र सरकार हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं की जो रिपोर्ट जारी करती है, वह पुलिस से मिले आंकड़ों पर आधारित है।
अधिकारी ने कहा कि हमने सितंबर तक के जिन आंकड़ों का विश्लेषण किया है, वह पुलिस की सूचना से 95 प्रतिशत तक मिलते-जुलते हैं। इसका मतलब है कि हम हादसों की रिपोर्टिंग का अपना नेटवर्क कायम कर लेंगे। यह सड़क सुरक्षा के लिए बड़ी बात होगी, क्योंकि इसी के आधार पर हमें दुर्घटनाओं के कारण और सुधार के उपायों के बारे में समझने में मदद मिलेगी।
90 प्रतिशत से अधिक सड़कें अब मेंटिनेंस के ठेकों के दायरे में
मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा के लिहाज से एक अन्य अहम काम सड़कों को रखरखाव के ठेकों के दायरे में लाने का किया है। वैसे तो अब नई सड़कों के ठेके निश्चित अवधि तक रखरखाव की अनिवार्यता के साथ दिए जा रहे हैं, लेकिन सड़कों की एक बड़ी संख्या ऐसी है, जिनके संदर्भ में रखरखाव की जिम्मेदारी ही निर्धारित नहीं है।
मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने पिछले दिनों मीडिया को बताया कि 90 प्रतिशत से अधिक सड़कें अब मेंटिनेंस के ठेकों के दायरे में हैं। अगर गड्ढ़ों के कारण कोई दुर्घटना होती है तो हम उसे तुरंत ठीक करने के साथ ही इसकी जिम्मेदारी भी निर्धारित कर सकते हैं। पांच हजार से अधिक लोगों की जान हर साल सड़कों में गड्ढों या अन्य कमियों के कारण चली जाती है।यह भी पढ़ेंः दिल्ली पुलिस के दो इंस्पेक्टर की सड़क हादसे में मौत, सोनीपत के कुंडली बॉर्डर के पास हुआ दर्दनाक हादसा