Road Safety: कॉरिडोर आधारित उपाय बचा सकते हैं 40000 जानें; सड़क सुरक्षा पर रिपोर्ट में दिखाया गया सुधार का रोडमैप
कॉरिडोर आधारित सड़क सुरक्षा उपायों से हर साल 40 हजार से अधिक लोगों की जानें बचाई जा सकती हैं। शहर आधारित ई-इन्फोर्समेंट महानगरों में सड़क हादसों और उनमें जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक घटा सकती है। विश्व बैंक और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सहयोग से सेव लाइफ फाउंडेशन के एक अध्ययन में ये निष्कर्ष सामने आए हैं।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Mon, 11 Dec 2023 08:17 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कॉरिडोर आधारित सड़क सुरक्षा उपायों से हर साल 40 हजार से अधिक लोगों की जानें बचाई जा सकती हैं। शहर आधारित ई-इन्फोर्समेंट महानगरों में सड़क हादसों और उनमें जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक घटा सकती है। विश्व बैंक और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सहयोग से सेव लाइफ फाउंडेशन के एक अध्ययन में ये निष्कर्ष सामने आए हैं।
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को यह अध्ययन रिपोर्ट जारी की, जो 13 ऐसे नवाचारों पर आधारित है जो सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किए गए और उनके सार्थक नतीजे सामने आए। गडकरी ने इस मौके पर देश में सड़क सुरक्षा की खराब स्थिति पर एक बार फिर चिंता जताई और कहा कि इस रिपोर्ट का व्यापक विश्लेषण किया जाएगा ताकि कुछ और सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।
2018-2022 के बीच सड़क दुर्घटनाओं में मौतें सात प्रतिशत बढ़ी
सेव लाइफ फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ पीयूष तिवारी ने कहा कि 2018 से 2022 के बीच सड़क दुर्घटनाओं में मौतें सात प्रतिशत बढ़ी हैं। सभी राज्य इस रिपोर्ट को रोड सेफ्टी की गाइडलाइन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। गडकरी ने पीयूष तिवारी से यह कहा भी कि वे इन उपायों के बारे में सभी राज्यों को भी अवगत कराएं ताकि वे अपने अनुकूल प्रयासों को अपना सकें।कॉरिडोर आधारित सुरक्षा उपायों का मतलब
यह रिपोर्ट कई उल्लेखनीय उदाहरणों पर प्रकाश डालती है। उदाहरण के लिए मुंबई-पुणे नेशनल हाईवे की जीरो फैटेलिटी कॉरिडोर (जेडएफसी) परियोजना ने 2018 से 2021 के बीच मृत्यु दर में 61 प्रतिशत की कमी की। कॉरिडोर आधारित सुरक्षा उपायों का मतलब यह है कि किसी सड़क के एक निश्चित हिस्से को कई उपायों के जरिये सुरक्षित बनाया जाता है।रिपोर्ट में सबरीमाला सेफ जोन प्रोजेक्ट का भी जिक्र
रिपोर्ट में सबरीमाला सेफ जोन प्रोजेक्ट का भी जिक्र है, जहां 2019 से 2021 के बीच शून्य सड़क दुर्घटना का रिकॉर्ड कायम किया गया। हालांकि इस अवधि में 2020 का वर्ष भी शामिल है जब कोरोना की पाबंदियों के कारण वाहनों की आवाजाही सीमित थी। भारत सड़क दुर्घटनाओं के लिहाज से दुनिया में सबसे अधिक जोखिम वाला देश है।