सलाह के लिए आईआईटी में चेयर प्रोफेसरों की नियुक्ति करेगा सड़क परिवहन मंत्रालय, कई संस्थानों के साथ किया समझौता
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय हाईवे निर्माण समेत तमाम विषयों पर मौजूदा व्यावहारिक चुनौतियों से निपटने के लिए आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाने जा रहा है। इसी सिलसिले में उसने आईआईटी रुड़की आइआईआईटी बीएचयू आईआईटी मद्रास और जवाहर लाल नेहरू तकनीकी विश्वविद्यालय अनंतपुर के साथ चेयर प्रोफेसरों की नियुक्ति के संदर्भ में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय हाईवे निर्माण समेत तमाम विषयों पर मौजूदा व्यावहारिक चुनौतियों से निपटने के लिए आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाने जा रहा है। इसी सिलसिले में उसने आईआईटी रुड़की, आइआईआईटी बीएचयू, आईआईटी मद्रास और जवाहर लाल नेहरू तकनीकी विश्वविद्यालय अनंतपुर के साथ चेयर प्रोफेसरों की नियुक्ति के संदर्भ में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
रणनीतिक सलाहकार के रूप में कार्य करेंगे प्रोफेसर
इन संस्थानों में मंत्रालय से संबंधित चेयर प्रोफेसरों की नियुक्ति होने से ट्रैफिक और हाईवे इंजीनियरिंग जैसे मसलों पर विशेषज्ञ तकनीकी सलाह मिल सकेगी। मंत्रालय के अनुसार ये चेयर प्रोफेसर उसके लिए रणनीतिक सलाहकार के रूप में कार्य करेंगे। खासकर तमाम ऐसे नए क्षेत्रों में जो सड़क परिवहन और राजमार्ग से सीधे संबंध रखते हैं।
उनसे यह भी कहा गया है कि शोध योजनाओं के लिए अपना तकनीकी मार्गदर्शन दें ताकि इन योजनाओं को आज की जरूरत के अनुरूप बनाया जा सके। मंत्रालय राजमार्गों के निर्माण के लिए महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना पर कार्य कर रहा है।
लागत घटाने और गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर
इसमें आधुनिक तकनीक और वृहद प्लानिंग की जरूरत है। तमाम ऐसी व्यावहारिक चुनौतियां हैं, खासकर लागत, सुरक्षा और डिजाइनिंग के लिहाज से जिनका मौजूदा तकनीकी ढांचे में समाधान कठिन है। इसी के साथ मंत्रालय ने एनएच परियोजनाओं के संदर्भ में अपने क्षेत्रीय कार्यालयों से समस्याओं के बारे में सीधे जानना चाहा है, जिससे कि उन्हें समाधान के लिए चेयर प्रोफेसरों के पास भेजा जा सके।
गौरतलब है कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी लागत घटाने और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नई तकनीकों के अधिक से अधिक इस्तेमाल की वकालत करते रहे हैं, लेकिन साथ में उन्होंने इस पर निराशा भी जताई है कि नई तकनीक अपनाने के लिहाज से परंपरागत हिचक के सिलसिले को खत्म नहीं किया जा पा रहा है।