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Rohini Commission: मार्च अंत तक केंद्र को अपनी रिपोर्ट दे सकता है रोहणी आयोग, पूरा कर चुका है अपना काम

ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के आरक्षण मामले में जस्टिस जी. रोहणी की अगुवाई में गठित आयोग जल्द ही अपनी रिपोर्ट दे सकता है। जिस तरह आयोग अपने काम-काज को समेटने में जुटा हुआ है उससे लग रहा है कि मार्च अंत तक वह इसे लेकर अपनी रिपोर्ट दे सकता है।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 18 Feb 2023 07:58 PM (IST)
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मार्च अंत तक केंद्र को अपनी रिपोर्ट दे सकता है रोहणी आयोग

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आरक्षण के बाद भी इसके लाभ से वंचित ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की डेढ़ हजार से ज्यादा जातियों को हालांकि उनका हक कब मिलेगा यह कहना अभी मुश्किल है, लेकिन इन जातियों की पड़ताल करने और उन्हें आरक्षण का समुचित लाभ दिलाने के लिए जस्टिस जी. रोहणी की अगुवाई में गठित आयोग जल्द ही अपनी रिपोर्ट दे सकता है। जिस तरह आयोग अपने काम-काज को समेटने में जुटा हुआ है, उससे साफ संकेत मिल रहे है कि मार्च अंत तक वह इसे लेकर अपनी रिपोर्ट दे सकता है।

केंद्रीय सूची में शामिल है 26 सौ जातियां

मौजूदा समय में ओबीसी की केंद्रीय सूची में करीब 26 सौ जातियां शामिल है। खासबात यह है कि ओबीसी की पिछड़ी जातियों का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार ने रोहणी आयोग का गठन वर्ष 2017 में किया था। जिसमें उसे कुछ हफ्तों में ही इस संबंध में अपनी रिपोर्ट देनी थी। हालांकि यह काम समय से पूरा नहीं हो पाया। जिसके बाद से आयोग को लगातार विस्तार दिया जा रहा है। अब तक करीब 14 बार उसे विस्तार मिल चुका है। वैसे तो नए विस्तार के बाद आयोग का कार्यकाल जुलाई 2023 तक के लिए बढ़ गया है, लेकिन अब वह अपना काम और खींचना नहीं चाहता है। आयोग से जुड़े एक वरिष्ठ सदस्य के मुताबिक आयोग ने अपना काम पूरा कर लिया है। अब सिर्फ रिपोर्ट को जांचने का काम चल रहा है।

ओबीसी आरक्षण को चार श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव

आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक ओबीसी की पिछड़ी जातियों को आरक्षण का पूरा लाभ दिलाने के लिए ओबीसी को मिलने वाले 27 फीसद आरक्षण को चार श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव किया गया है। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में पहले से ही ओबीसी जातियों की चार श्रेणियां हैं। फिलहाल केंद्रीय सूची के आधार पर ओबीसी आरक्षण के उप वर्गीकरण का जो प्रस्ताव किया गया है, उसमें इसकी चार श्रेणियां तैयार की गई है। इनमें बहुसंख्यक जातियों को ज्यादा हिस्सा भी दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक जो चार श्रेणियां प्रस्तावित की गई है, वह दो, छह, नौ और दस प्रतिशत तय की गई है। दावा है यह फार्मूला वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया गया है।

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