ओबीसी आरक्षण पर रोहणी आयोग करता रहेगा काम, रिपोर्ट पर अध्ययन के लिए विशेषज्ञों को दी गई जिम्मेदारी
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की पिछड़ी जातियों को न्याय दिलाने के लिए जस्टिस जी. रोहिणी की अगुवाई में गठित आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ओबीसी की ऐसी सभी जातियां अब अपने हकों को लेकर लामबंद होती दिख रही हैं। वहीं सरकार ने आयोग के सचिवालय को भी कुछ समय तक के लिए पहले की तरह काम करते रहने के लिए कहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की पिछड़ी जातियों को न्याय दिलाने के लिए जस्टिस जी. रोहिणी की अगुवाई में गठित आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ओबीसी की ऐसी सभी जातियां अब अपने हकों को लेकर लामबंद होती दिख रही हैं, जिन्हें ओबीसी में होने के बाद भी अभी तक इसका कोई लाभ नहीं मिला है।
रिपोर्ट पर सरकार गंभीर
जब से यह रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई है, तब से वह 'ओबीसी में वर्गीकरण करो' नाम से सोशल मीडिया पर अभियान छेड़े हुए है। वहीं, रिपोर्ट को लेकर सरकार भी गंभीर दिखी है। इसके अध्ययन के लिए विशेषज्ञों को काम पर लगाया है। इस बीच, ओबीसी आरक्षण में वर्गीकरण करो नाम से सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्मों पर ओबीसी की जो जातियां सबसे ज्यादा सक्रिय है, उनमें माली, सैनी, कुशवाह, राजभर जैसी जातियों से जुड़े लोग शामिल है।
रोहणी आयोग का सचिवालय पूर्ववत करता रहेगा काम
सरकार ने आयोग के सचिवालय को भी कुछ समय तक के लिए पहले की तरह काम करते रहने के लिए कहा है। माना जा रहा है कि रिपोर्ट के अध्ययन के दौरान किसी तरह से सवाल या संदेह पर फिर से उनसे संपर्क साधा जा सकेगा।
मंडल आयोग की सिफारिशों को मंत्रालय ने किया अपलोड
ओबीसी आरक्षण के वर्गीकरण को लेकर इन सारी गतिविधियों के बीच सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने एक और अहम कदम उठाया है, जिसमें मंत्रालय ने अचानक से अपनी वेबसाइट पर ओबीसी आरक्षण से जुड़ी मंडल आयोग की सारी सिफारिशों को छोटे-छोटे हिस्सों में अपलोड कर दिया है। सालों पुरानी ओबीसी आरक्षण से जुड़ी मंडल आयोग की रिपोर्ट को इस तरह से अचानक अपलोड किए जाने से चर्चाएं गर्म है।
जस्टिस जी रोहिणी ने 31 जुलाई को राष्ट्रपति को दीं अपनी रिपोर्ट
सूत्रों की मानें तो इनमें वह अंश भी शामिल है, जिसमें मंडल आयोग ने भी ओबीसी की पिछड़ी जातियों के हकों को सुरक्षित करने की पैरवी की थी। साथ ही इस पर पैनी नजर रखने को कहा था। गौरतलब है कि ओबीसी आरक्षण के उप वर्गीकरण को लेकर जस्टिस जी रोहिणी ने 31 जुलाई को राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट दी है।