सीएए को लागू करने में सीमित हो सकती है राज्यों की भूमिका, पूरी प्रक्रिया होगी आनलाइन; वेरीफिकेशन में भी जिलाधिकारी की भूमिका हो सकती है सीमित
गृहमंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस महीने के शुरू में ही सीएए के नियम बन जाने आनलाइन पोर्टल के माध्यम से इसके लिए आवेदन की सुविधा दिये जाने का दावा किया था। उनका कहना था कि लोकसभा चुनाव के पहले सीएए को पूरे देश में लागू किया जा सकता है। अब केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने एक हफ्ते के भीतर इसके लागू होने का दावा किया है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी के अन्य नेता भले ही अपने राज्य में सीएए को नहीं लागू होने देने का दावा कर रहे हों। लेकिन नागरिकता का मुद्दा पूरी तरह से केंद्रीय विषय होने के कारण सीएए को लागू करने में राज्यों और खासकर जिलाधिकारियों की भूमिका सीमित हो सकती है। सीएए के तहत नागरिता देने की पूरी प्रक्रिया आनलाइन होगी और आवेदक के दावे के वेरीफिकेशन के लिए जिलाधिकारी के अलावा किसी अन्य एजेंसी को अधिकार देने का विकल्प भी खुला है।
गृहमंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस महीने के शुरू में ही सीएए के नियम बन जाने आनलाइन पोर्टल के माध्यम से इसके लिए आवेदन की सुविधा दिये जाने का दावा किया था। उनका कहना था कि लोकसभा चुनाव के पहले सीएए को पूरे देश में लागू किया जा सकता है। अब केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने एक हफ्ते के भीतर इसके लागू होने का दावा किया है। वैसे तो केंद्र सरकार को सीएए के लिए बने नियमों को सीधे अधिसूचित करने का अधिकार है और अधिसूचित होते ही ये नियम लागू हो जाएंगे। लेकिन संसदीय नियम को मुताबिक इन नियमों को अगले संसद सत्र में सदन पटल पर रखना होगा।
आगामी संसद सत्र में CAA को लेकर देखने को मिल सकता है हंगामा
एक हफ्ते के भीतर लागू होने की स्थिति में इन नियमों को 31 जनवरी से सात फरवरी तक चलने वाले बजट सत्र में रखना होगा। लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य के अनुसार वैसे तो नियमों को सदन से पास कराने की जरूरत नहीं है, लेकिन यदि किसी सदस्य ने इसमें संशोधन करने या इसे निरस्त करने का नोटिस देता है, तो उस पर चर्चा कराना अनिवार्य हो जाएगा। ऐसी स्थिति में आगामी संसद सत्र में सीएए को लेकर हंगामा देखने को मिल सकता है। वहीं दूसरी ओर किसी भी व्यक्ति के नागरिकता के आवेदन के प्रोसेस करने के लिए गृहमंत्रालय अपना अधिकारी जिलाधिकारी को देता है। जिलाधिकारी ही आवेदक दावे की जांच कर अपनी अनुसंशा केंद्रीय गृहमंत्रालय को भेज देता है।आवेदन की पूरी प्रक्रिया होगी आनलाइन
आवेदन के दावे की वेरीफिकेशन का काम भी जिलाधिकारी ही करता है। लेकिन गृहमंत्रालय के पास यह अधिकार है कि वह जिलाधिकारी के बजाय किसी अन्य अधिकारी को भी नागरिकता के आवेदनों के प्रोसेस के लिए चुन सकता है। इस बार चुकी आवेदन की पूरी प्रक्रिया आनलाइन होगी, इसीलिए जिलाधिकारी भूमिका सीमित या नगण्य हो सकती है। गृह मंत्रालय सुविधा के अनुसार किसी जिले में जिलाधिकारी को, तो किसी अन्य जिले में दूसरे अधिकारी को यह अधिकार दे सकता है।