Shiv Shakti Point के नजदीक घूम रहा Rover Pragyan, पढ़िए विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग से लेकर अब तक क्या कुछ हुआ
Rover Pragyan Updates चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतरने के बाद विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान लगातार चांद से जुड़ी जानकारियों को एकत्र करने में जुटे हैं। इसरो ने चांद के दक्षिणी ध्रुव के तापमान से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जानकारी दुनिया से साझा की है। आइए जरा पढ़ें कि लैंडर के चांद की सतह से उतरने के बाद से लेकर अब तक क्या कुछ हुआ है।
अब तक रोवर ने चांद पर क्या कुछ किया?
इसरो ने 25 अगस्त को एक अपने X (ट्विटर) हैंडल के जरिए एक वीडियो क्लिप जारी किया, जिसे विक्रम लैंडर पर लगे इमेजर कैमरे से कैप्चर किया गया। वीडियो में देखा गया कि रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर पहुंच गया और उसने चांद की सतह पर चलने की शुरुआत कर दी।Chandrayaan-3 Mission:
All activities are on schedule.
All systems are normal.
🔸Lander Module payloads ILSA, RAMBHA and ChaSTE are turned ON today.
🔸Rover mobility operations have commenced.
🔸SHAPE payload on the Propulsion Module was turned ON on Sunday.
— ISRO (@isro) August 24, 2023
चांद की सतह के तापमान ने वैज्ञानिकों को किया हैरान
इसके बाद इसरो ने 27 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव के तापमान से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जानकारी दुनिया से साझा की है। इसरो के मुताबिक, चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) ने चांद की सतह के तापमान का पता लगाने के लिए दक्षिणी ध्रुव के इर्द-गिर्द चांद की ऊपरी मिट्टी का तापमान मापा है। इसरो ने जानकारी दी कि विक्रम लैंडर के चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं। चंद्रमा की सतह के तापमान को समझने के लिए चेस्ट ने ध्रुव की चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का तापमान मापा है।इसरो ने कहा,"हमें अब तक उम्मीद थी कि सतह का तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन सतह का तापमान तो 70 डिग्री सेंटीग्रेड है। सतह का तापमान हमारी अपेक्षा से काफी अधिक है।
वैज्ञानिकों ने ग्राफ के जरिए क्या समझाया?
इसरो ने एक ग्राफ भी दुनिया से साझा किया है। इस ग्राफ को इसरो के वैज्ञानिक, दारुकेशा ने समझाते हुए कहा कि जब हम पृथ्वी के अंदर दो से तीन सेंटीमीटर जाते हैं तो हमें दो से तीन सेंटीग्रेड का अंतर दिखता है।वहीं, चंद्रमा की सतह से दो से तीन सेंटीमीटर अंदर जाने पर लगभग 50 सेंटीग्रेड का अंतर का पता चला है। पेलोड की जानकारी के अनुसार, चांद की सतह से नीचे 80 मिलीमीटर की गहराई पर जाने पर तापमान माइनस 10 डिग्री (-10 डिग्री) तक गिर जाता है। चेस्ट पेलोड में लगी मशीन में तापमान मापने के लिए 10 सेंसर लगे हुए हैं। यह मशीन कंट्रोल एंट्री सिस्टम की मदद से सतह के नीचे 10 सेमी की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है।'शिव शक्ति' प्वाइंट का पीएम मोदी ने बताया मतलब
कुछ दिनों पहले पीएम मोदी ने यह एलान किया कि विक्रम लैंडर ने जिस जगह पर लैंडिंग की है उसे शिव शक्ति प्वाइंट के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प समाहित है और शक्ति से हमें उन संकल्पों को पूरा करने का सामर्थ्य है।अब इन उपकरणों की बारी
- चेस्ट यानी चंद्रा सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट ने जानकारी दी है। अब बारी इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सेस्मिक एक्टिवटी यानी आईएलएसए (ILSA) उपकरण की बारी है। यह उपकरण लैंडिंग साइट की आसपास भूकंप की गतिविधि का पता लगाएगा।
- अल्फा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) उपकरण चांद की सतह पर मौजूद मिट्टी और चट्टानों की जानकारी जुटाएगा।
- लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्टोस्कोप (LIBS) उपकरण चांद पर मौजूद रासायनिक पदार्थ और खनिज की पहचान और अन्य जानकारी एकत्र करेगा।