Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

RSS मानहानि मामलाः बॉम्बे हाई कोर्ट का राहुल गांधी को लेकर बड़ा आदेश, कहा- उनके पास शीघ्र निर्णय पाने का वैध अधिकार

Rahul Gandhi RSS defamation case कोर्ट ने कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ कथित टिप्पणी के लिए 2014 की मानहानि की शिकायत पर जल्द निर्णय पाने का वैध अधिकार है। न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की एकल पीठ ने आदेश में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 सभी के लिए शीघ्र सुनवाई का अधिकार प्रदान करता है।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Tue, 16 Jul 2024 03:31 PM (IST)
Hero Image
Rahul Gandhi RSS defamation case राहुल गांधी के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा आदेश।

पीटीआई, मुंबई। Rahul Gandhi RSS defamation case बॉम्बे हाई कोर्ट ने राहुल गांधी से जुड़े आरएसएस मानहानि मामले में आज एक बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ कथित टिप्पणी के लिए 2014 की मानहानि की शिकायत पर गुण-दोष के आधार पर शीघ्र निर्णय पाने का वैध अधिकार है।

सभी को शीघ्र सुनवाई का अधिकार

न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की एकल पीठ ने 12 जुलाई के आदेश में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 सभी के लिए शीघ्र सुनवाई का अधिकार प्रदान करता है और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई ऐसी चीज है जो बेहद जरूरी है।

न्यायालय ने यह टिप्पणी राहुल गांधी की उस याचिका को स्वीकार करते हुए की जिसमें उन्होंने एक मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने की मांग की थी जिसमें आरएसएस कार्यकर्ता को लंबित आपराधिक मानहानि शिकायत में नए और अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई थी।

संघ कार्यकर्ता ने राहुल पर दर्ज किया है केस

बता दें कि 2014 में संघ कार्यकर्ता राजेश कुंटे ने भिवंडी मजिस्ट्रेट की अदालत में मानहानि की शिकायत दर्ज कराई, जिसमें दावा किया गया कि कांग्रेस नेता ने एक भाषण के दौरान झूठे और अपमानजनक बयान दिए थे कि महात्मा गांधी की हत्या के लिए आरएसएस जिम्मेदार है।

2023 में कुंटे को मिली थी इजाजत

2023 में महाराष्ट्र के ठाणे जिले के भिवंडी में मजिस्ट्रेट अदालत ने कुंटे को राहुल गांधी के भाषण की प्रतिलिपि प्रस्तुत करने की अनुमति दी, जो 2014 में कांग्रेस नेता द्वारा दायर एक याचिका का हिस्सा थी, जिसमें उन्हें जारी किए गए समन को रद्द करने की मांग की गई थी।

कुंटे ने तर्क दिया कि अपनी याचिका के हिस्से के रूप में प्रतिलिपि को शामिल करके, राहुल गांधी ने "भाषण और इसकी सामग्री को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है"। इसके बाद कांग्रेस नेता ने मजिस्ट्रेट के आदेश को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी।

कोर्ट बोला- बिना वजह लंबा खीचा जा रहा मामला

हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति चव्हाण ने आदेश में कुंटे से सवाल किया और कहा कि उनके समग्र आचरण के कारण, मामले को अनावश्यक रूप से विलंबित और लंबा खींचा जा रहा है।