अमृतशतम् व्याख्यान श्रृंखला में RSS महासचिव दत्तात्रेय होसबले हुए शामिल, बोले- भारत मानवता के लिए जीता है
RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने गुरुवार को केसरी साप्ताहिक द्वारा आयोजित अमृतशतम् व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत मानवता के लिए जीता है और देश का मिशन अपने सांस्कृतिक मूल्यों और जीवन की अनूठी दृष्टि के साथ दुनिया के लिए एक प्रकाशस्तंभ के रूप में प्रकाश डालना है। उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान संघ उभरते हुए चरण में था।
By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Fri, 18 Aug 2023 11:08 AM (IST)
कोझिकोड (केरल), एजेंसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव, दत्तात्रेय होसबले ने गुरुवार को कहा कि भारत मानवता के लिए जीता है और देश का मिशन अपने "सांस्कृतिक मूल्यों और जीवन की अनूठी दृष्टि" के साथ दुनिया के लिए एक प्रकाशस्तंभ के रूप में प्रकाश डालना है।
केसरी साप्ताहिक द्वारा आयोजित 'अमृतशतम्' व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित करते हुए होसबोले ने कहा, भारत मानवता के लिए जीता है। भारत का मिशन अपने सांस्कृतिक मूल्यों और जीवन की अनूठी दृष्टि के साथ दुनिया को एक प्रकाशस्तंभ के रूप में प्रकाश देना है। इसके लिए भारतीयों में राष्ट्रवाद की प्रबल भावना को मजबूत करना आवश्यक है। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने आरएसएस की स्थापना करके इसे वास्तविकता में बदल दिया।
होसबले ने आगे कहा कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान संघ उभरते हुए चरण में था और आजादी के बाद एक राष्ट्रीय संगठन में तब्दील हो गया।
होसबले ने कहा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उभरने और आजादी के बाद एक राष्ट्रीय संगठनात्मक शक्ति में तब्दील होने का इतिहास रहा है। संघ के इतिहास को उसके संस्थापक के जीवन को समझे बिना नहीं समझा जा सकता। उन्होंने अपने जीवन का हर इंच एक आदर्श राष्ट्र के विचार को साकार करने के लिए समर्पित कर दिया।
उन्होंने कहा, डॉ. हेडगेवार जन्मजात देशभक्त थे। वह बचपन से ही स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे। बालगंगाधर तिलक की स्वतंत्रता संग्राम श्रृंखला से प्रेरित होकर उन्होंने विभिन्न क्रांतिकारी गतिविधियों में भी भाग लिया था।
आरएसएस नेता ने कहा कि हेडगेवार का उद्देश्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से "राष्ट्रीय गौरव" हासिल करना था।होसेबल ने कहा, उनका विचार था कि सांस्कृतिक आधार वाले संगठित राष्ट्र बने बिना स्वतंत्रता की प्राप्ति संभव नहीं है और यदि स्वतंत्रता को संरक्षित करना है, तो प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र के आदर्श की प्रेरणा लेनी होगी। उन्होंने कहा कि संगठन के माध्यम से राष्ट्रीय गौरव हासिल करना ही उद्देश्य है।