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RSS नेता भैयाजी का बड़ा बयान: जन्म के आधार पर तय होती है जाति, यह सामाजिक बुराई; भेदभाव को खत्म करना होगा

आरएसएस नेता सुरेश भैयाजी ने जाति आधारित भेदभाव खत्म करने की अपील लोगों से की। उन्होंने कहा कि अगर कोई अनावश्यक अंहकार पैदा होता है तो उसे खत्म करने की जरूरत है। तभी एक समाज का निर्माण होगा। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या हरिद्वार किसी जाति का है हमारे 12 ज्योतिर्लिंग किसी जाति के हैं अगर नहीं तो यह भेदभाव क्यों हैं?

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Fri, 11 Oct 2024 12:16 PM (IST)
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11 अक्टूबर को जयपुर में एक कार्यक्रम में आरएसएस नेता सुरेश भैयाजी। (फोटो- एएनआई)

एएनआई, जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेता सुरेश भैयाजी ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने एक समाज के तौर पर सभी से भेदभाव खत्म करने और एकजुट होने की अपील की। भैयाजी ने कहा कि जाति जन्म से तय होती है। यह एक सामाजिक बुराई है। इसे खत्म करने की जरूरत है। जहां भी आपस में भेदभाव होता है, वह समाज समाज नहीं रहता है। समाज के सभी अंग महत्वूर्ण हैं। कोई कमतर नहीं होता है।

क्या हरिद्वार किसी जाति का है?

सुरेश भैयाजी ने कहा कि जन्म के आधार पर जातियां तय होती हैं। हमको हमारा नाम मिलता है। भाषा मिलती है। हमको भगवान मिलते हैं। धर्म के ग्रंथ मिलते हैं। हम कई प्रकार के महापुरुषों के वंशज कहलाते हैं। क्या वो किसी एक जाति के कारण हैं, क्या कोई कह सकता है कि हरिद्वार किस जाति का है, क्या हमारे 12 ज्योतिर्लिंग किसी जाति के हैं, क्या इस देश के कोने-कोने के 51 शक्तिपीठ किसी जाति के हैं?

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अनावश्यक अंहकार को नष्ट करना होगा

उन्होंने आगे कहा कि इस देश के चारों दिशाओं में रहने वाला, जो आपने आपको हिंदू मानता है। वो सब इन बातों को अपना मानता है। फिर भेद कहां पर है। जैसे राज्य की सीमाएं हमारे अंदर भेद निर्माण नहीं कर पाती, वैसे ही जन्म के आधार पर प्राप्त स्थिति हमारे अंदर भेद का निर्माण नहीं कर सकती है। गलत धारणा को समाप्त करना चाहिए। कोई भ्रम होगा तो दूर करना चाहिए। अनावश्यक अंहकार पनपता है तो उस अहंकार के बीच को नष्ट करते हुए हम सबक एक समाज कहते हैं।

बुराई को दूर करना ही होगा

सुरेश भैयाजी ने कहा कि पुरुष सूक्त में सहस्त्र शीर्ष, सहस्त्र बाहु, सहस्त्र पाद के बारे में बताया गया। यह क्या एक व्यक्ति का वर्णन है? पुरुष सूक्त में जो कहा गया यह वह पुरुष कौन है? यही समाज पुरुष है। राष्ट्र पुरुष है। यह सब एक अंग है। अंग के अलग-अलग हिस्से होंगे लेकिन अंग से अलग नहीं होगा। शरीर का कोई भी हिस्सा कम महत्व का नहीं है। अगर हाथ-पांव आपस में भेदभाव करने लगे तो शरीर शरीर नहीं रहेगा। समाज समाज नहीं रहेगा। इसलिए इन बुराइयों को दूर करना होगा।

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