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आरएसएस ने अमेजन पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- कंपनी पूर्वोत्तर में करती है धार्मिक धर्मांतरण का वित्त पोषण

आरएसएस से संबद्ध पत्रिका आर्गेनाइजर ने अमेरिकी ई-कामर्स कंपनी अमेजन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसने अपने ताजा अंक में कहा है कि अमेजन देश के पूर्वोत्तर राज्यों में ईसाई धर्मांतरण तंत्र का वित्त पोषण करने और मनी लांड्रिंग में शामिल है।

By AgencyEdited By: Amit SinghUpdated: Tue, 15 Nov 2022 11:28 PM (IST)
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आरएसएस ने अमेजन पर लगाए गंभीर आरोप
नई दिल्ली, प्रेट्र: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध पत्रिका आर्गेनाइजर ने अमेरिकी ई-कामर्स कंपनी अमेजन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसने अपने ताजा अंक में कहा है कि अमेजन देश के पूर्वोत्तर राज्यों में ईसाई धर्मांतरण तंत्र का वित्त पोषण करने और मनी लांड्रिंग में शामिल है। अमेजन अमेरिकी बैपटिस्ट चर्च (एबीएम) संचालित ईसाई धर्मांतरण तंत्र का वित्त पोषण कर रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों और एबीएम द्वारा भारत में मिशनरी धर्मांतरण मिशन के वित्त पोषण के लिये मनी लांड्रिंग गिरोह चलाने की भी बात कही गई है।

एआइएम के वित्त पोषण के आरोप

अमेजिंग क्रास कनेक्शन शीर्षक से आलेख में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश के सामाजिक न्याय मंच ने आरोप लगाया है कि, अमेजन द्वारा अपने फाउंडेशन आमेजन स्माइल के माध्यम से एबीएम के शीर्ष संगठन आल इंडिया मिशन (एआइएम) का लगातार वित्त पोषण किया जा रहा है। पत्रिका ने आरोप लगाया है कि एआइएम ने अपनी वेबसाइट पर यह दावा किया है कि उसने भारत के पूर्वोत्तर भाग में 25 हजार लोगों का धर्मातरण कराया। वहीं पत्रिका के हिंदी संस्करण पांचजन्य ने पिछले वर्ष अक्टूबर में आरोप लगाया था कि कंपनी ने सरकारी नीतियों को अपने अनुरूप कराने के लिये करोड़ों रूपये की रिश्वत दी थी।

40 हजार वर्ष से सभी मानवों का डीएनए एक समान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हम सबके पूर्वज एक समान हैं। भारत अखंड था। काबूल के पश्चिम में ¨छदविन नदी से चीन की पूर्वी ढलान से श्रीलंका के दक्षिण तक सभी मानवों का डीएनए 40 हजार वर्षों से एक समान है। भागवत ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हमें सिखाया है अपनी-अपनी पूजा पद्धति का अच्छे से अनुसरण करें। अपनी-अपनी भाषा का विकास करें। हमारा खानपान हमारे आसपास के भूगोल के लिए उचित है, उसमें पक्के रहें। विविधता में एकता ही हमारी पहचान है। हमारी भाषा, वेशभूषा, रहन-सहन अलग हो सकते हैं, परंतु संकट के समय हम साथ खड़े होते हैं। कोरोना काल इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।