Move to Jagran APP

सुप्रीम कोर्ट और HC के जजों को घोषित करनी पड़ेगी संपत्ति! सरकार ने संसदीय समिति से और क्या कुछ कहा?

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को अपनी संपत्ति की जानकारी घोषित करनी होगी। सरकार ने एक संसदीय समिति को बताया है कि वह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों द्वारा संपत्ति की घोषणा के लिए वैधानिक प्रविधान करने की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए नियम बनाने की योजना बना रही है। कानून मंत्रालय शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के साथ परामर्श शुरू कर दिया है।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Mon, 12 Feb 2024 09:17 PM (IST)
Hero Image
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को अपनी संपत्ति की जानकारी घोषित करनी होगी।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को अपनी संपत्ति की जानकारी घोषित करनी होगी। सरकार ने एक संसदीय समिति को बताया है कि वह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों द्वारा संपत्ति की घोषणा के लिए वैधानिक प्रविधान करने की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए नियम बनाने की योजना बना रही है।

शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के साथ किया जा रहा परामर्श

कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने कहा कि इस संबंध में शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के साथ परामर्श शुरू कर दिया गया है और इस मुद्दे पर उसकी प्रतिक्रिया का इंतजार है। कार्रवाई रिपोर्ट में दर्ज सरकार की प्रतिक्रिया के आधार पर कानून और कार्मिक विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने न्याय विभाग से इस मामले में वैधानिक प्रविधान के लिए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के साथ परामर्श प्रक्रिया को तेज करने के लिए कहा है।

समिति ने क्या कहा है?

न्यायिक प्रक्रियाओं और सुधारों पर अपनी पिछली रिपोर्ट पर कार्रवाई रिपोर्ट हाल ही में समाप्त हुए बजट सत्र में पिछले सप्ताह संसद में पेश की गई थी। अपनी पिछली रिपोर्ट में सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा था कि सामान्य प्रथा के रूप में सभी संवैधानिक पदाधिकारियों और सरकारी सेवकों को अपनी संपत्ति और देनदारियों का वार्षिक रिटर्न अवश्य दाखिल करना चाहिए।

यह भी पढ़ेंः Pakistan Politics: कौन होगा पाकिस्तान का अगला वजीर-ए-आजम… नाम पर लगी मुहर! 3-2 के फॉर्मूले पर हुई सत्ता की सेटिंग

प्रणाली में आएगी विश्वसनीयता

राजकोष से वेतन पाने वाले किसी भी व्यक्ति को अनिवार्य रूप से अपनी संपत्ति का वार्षिक रिटर्न दाखिल करना चाहिए। समिति ने यह भी कहा था कि उच्च न्यायपालिका-उच्चतम न्यायालय और 25 हाई कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा संपत्ति की घोषणा से प्रणाली में विश्वसनीयता आएगी।

समिति ने सरकार को उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों के लिए अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना अनिवार्य बनाने के लिए उचित कानून लाने की सिफारिश की है। अपनी प्रतिक्रिया में सरकार ने कहा कि समिति द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर न्याय विभाग नियम बनाने का प्रस्ताव कर रहा है।

यह भी पढ़ेंः Rajya Sabha Election: शमिक को राज्यसभा उम्मीदवार बनाने के पीछे भाजपा की ये है रणनीति, साधे एक तीर से कई निशाने