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अफवाहों और फेक न्यूज ने मणिपुर में हिंसा को दी हवा, मैतेइ व कुकी समुदाय के 160 से अधिक लोगों की अब तक गई जान

अधिकारियों ने कहा कि फर्जी तस्वीर के कारण अराजकता जंगल की आग की तरह फैल गई और राज्य सरकार द्वारा इंटरनेट बंद करने का एक कारण यह भी था। हालांकि इंटरनेट पर रोक का विरोध भी हुआ। अधिकारियों के अनुसार विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकला है कि स्थानीय समाचार पत्रों द्वारा भी प्रसारित की जा रही फर्जी या एकतरफा खबरों पर कोई नियंत्रण नहीं है।

By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Sun, 23 Jul 2023 09:45 PM (IST)
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महिलाओं से हैवानियत का मामला सामने आने के बाद अब हिंसा प्रभावित मणिपुर में कई घटनाएं सामने आ रही हैं।
इंफाल, पीटीआई। जातीय हिंसा के शिकार मणिपुर में बड़े स्तर पर फैली अफवाहों और फेक न्यूज ने हिंसा को हवा दी जिससे हालात बिगड़े। यह कहना है इस पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति की निगरानी कर रहे विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों का। मणिपुर में दो समुदायों के बीच तीन मई से भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।

अफवाह और झूठी खबर का परिणाम

कांगपोकपी जिले में चार मई को दो महिलाओं को नग्न करके घुमाने और सामूहिक दुराचार की घटना अफवाह और झूठी खबर का ही परिणाम थी। पालिथीन में लिपटे एक शव की तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर इस दावे के साथ साझा की गई कि चूड़चंदपुर में आदिवासियों द्वारा इस पीड़िता की हत्या की गई है। हालांकि बाद में पता चला कि प्रसारित तस्वीर दिल्ली में हुई एक वारदात की थी लेकिन उस समय तक घाटी में हिंसा भड़क चुकी थी।

दो और महिलाओं की दुराचार के बाद हत्या

अगले दिन कांगपोकपी में बदले की भावना से मानवता को शर्मसार करने वाली घटना को अंजाम दिया गया दिया। उसी दिन, बमुश्किल से 30 किमी दूर एक अन्य स्थान पर 20 साल की दो और महिलाओं की दुराचार के बाद हत्या कर दी गई।

इंटरनेट पर रोक का भी हुआ विरोध

अधिकारियों ने कहा कि फर्जी तस्वीर के कारण अराजकता जंगल की आग की तरह फैल गई और राज्य सरकार द्वारा इंटरनेट बंद करने का एक कारण यह भी था। हालांकि इंटरनेट पर रोक का विरोध भी हुआ। अधिकारियों के अनुसार विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकला है कि स्थानीय समाचार पत्रों द्वारा भी प्रसारित की जा रही फर्जी या एकतरफा खबरों पर कोई नियंत्रण नहीं है।

पुलिस जांच में सच्चाई आई सामने

अधिकारियों ने कहा कि एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र ने हाल में दावा किया था कि हथियारों से लैस आदिवासी लोगों ने चंदेल जिले के क्वाथा गांव में बहुसंख्यक समुदाय के सदस्यों पर हमला करने और गांव जलाने की योजना बनाई थी। पुलिस जांच में सामने आया कि खबर में कोई सच्चाई नहीं थी। पुलिस ने फिर से अपील की कि संवेदनशील मामलों में केवल सही जानकारी ही प्रकाशित की जानी चाहिए। मणिपुर में मैती समुदाय की आबादी लगभग 53 प्रतिशत और कुकी-नगा की करीब 47 प्रतिशत है।

मणिपुर के सिविल सोसाइटी ग्रुप के विरुद्ध राजद्रोह का केस दर्ज

असम राइफल्स ने मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्यवय समिति (कोकोमी) के प्रमुख जितेंद्र निंगोम्बा के खिलाफ देशद्रोह और मानहानि का मामला दर्ज किया है। एक उच्च पदस्थ रक्षा सूत्र ने कहा कि इस सिविल सोसाइटी ग्रुप के खिलाफ 10 जुलाई को एफआइआर दर्ज की गई थी।

इस संगठन ने लोगों से पुलिस से लूटे गए वापस नहीं लौटाने का आह्वान किया था। बता दें कि तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद 4,000 से अधिक हथियार और लाखों गोलियां पुलिस शस्त्रागार से छीन लिए गए थे।

घर के अंदर बंद कर स्वतंत्रता सेनानी की 80 साल की पत्नी को जलाया गया

महिलाओं से हैवानियत का मामला सामने आने के बाद अब हिंसा प्रभावित मणिपुर में कई घटनाएं सामने आ रही हैं। इंफाल से करीब 45 किलोमीटर दूर काकचिंग जिले के सेरौ गांव में एक स्वतंत्रता सेनानी की 80 साल की पत्नी को 28 मई की सुबह एक सशस्त्र समूह ने उनके घर के अंदर बंद कर घर को आग के हवाले कर दिया था। सेरौ पुलिस थाने में महिला की हत्या के संबंध में केस दर्ज हुआ है।

मैतेइ समुदाय के स्वतंत्रता सेनानी महिला के पति एस चुराचंद सिंह को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने सम्मानित किया था। सैरो हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित गांवों में से एक था। महिला को बचाने आए उनके पौत्र को भी गोलियों से जख्मी कर दिया गया था।