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रूस तलाश रहा है अपनी गैस के लिए नए खरीददार, भारत के लिए SCO बन सकता है एक तीर से दो निशाने साधने का जरिया

उजबेकिस्‍तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन सम्‍मेलन भारत के लिए एक बड़ा अवसर हाथ लगने वाला साबित हो सकता है। इसकी वजह है कि रूस अपनी गैस के लिए नए खरीददार तलाश रहा है। ऐसे में भारत उसको सहयोग कर सकता है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 15 Sep 2022 03:42 PM (IST)
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भारत के लिए शंघाई सहयोग संगठन का सम्‍मेलन बन सकता है खास
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध के बीच यूरोप को जबरदस्‍त ऊर्जा संकट से जूझना पड़ रहा है। रूस की तरफ से युद्ध की शुरुआत से अब तक कई बार गैस की सप्‍लाई को बाधित किया गया है। ऐसे में एक तरफ जहां यूरोप के देश एनर्जी क्राइसेस के बाद दूसरे विकल्‍पों को तलाश करने में जुट गए हैं वहीं दूसरी तरफ रूस भी गैस से होने वाली कमाई में कमी आने से अंदर ही अंदर चिंतित है। यही वजह है कि वो अब अपनी प्राकृतिक गैस के लिए नए खरीददार जुटाने में लगा हुआ है। चीन को उसने पहले की गैस की आपूर्ति बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। इसके अलावा वो अब भारत समेत दूसरे देशों को भी इस तरफ लाने में जुटा है।

भारत के लिए एक तीर से दो निशाने 

भारत भी इस मौके का फायदा अपने हितों को साधने के लिए उठाना चाहता है। इससे भारत एक ही तीर से दो निशाने भी साध सकता है। भारत गैस की खरीद कर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकता है वहीं दूसरी तरफ भारत रूस के साथ अपने संबंधों को एक नए आयाम पर पहुंचा सकता है। रूस के लिए ये एक ऐसा समय है जब वो गैस को यूरोप से कम कीमत पर भारत को मुहैया करवाने में संकोच शायद न करे। 

मोदी-पुतिन बैठक के मायने

उजबेकिस्‍तान के समरकंद में हो रहा शंघाई सहयोग संगठन का सम्‍मेलन और इसमें होने वाली मोदी-पुतिन की  बैठक इस नाते भी बेहद खास हो गई है क्‍योंकि अमेरिका ने रूस के ऊपर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं। ऐसे में रूस से समझौते को लेकर कई देश पीछे हैं या फिर बच रहे हैं। वहीं भारत ने इन प्रतिबंधों के बाद भी देशहित में रूस से अपने व्‍यापार को जारी रखा है। भारत ने रूस से न सिर्फ तेल आयात को जारी रखा है बल्कि दूसने क्षेत्र में भी आपसी सहयोग किया है। ऐसे में इस मंच पर दोनों देशों के बीच होने वाली बातचीत और समझौते विश्‍व स्‍तर पर एक नया समीकरण और संबंधों की एक नई व्‍याख्‍या लिखने में मददगार साबित होंगे।

व्‍यापार में हुआ इजाफा

आंकड़ों पर नजर डालें तो मौजूदा वित्‍तीय वर्ष के पहले छह माह में ही दोनों देशों के बीच का ट्रेड टर्नओवर 11.5 अरब डालर को पार कर चुका है। इसमें दोगुने से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। खाली फर्टीलाइजर में ही भारत ने पिछले वर्ष के मुकाबले कहीं अधिक का व्‍यापार किया है। पिछले वर्ष रूस से आने वाला जहां 773.54 मिलियन डालर का था वहीं इस वर्ष अप्रैल से जुलाई में ही ये 1 अरब डालर से आगे निकल गया है।

जानें- अमेरिका और यूरोपीय देशों के लिए भी आखिर क्‍यों खास हो गया है SCO सम्‍मेलन और पीएम मोदी की राष्‍ट्रपति पुतिन से होने वाली बैठक