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Russia: रूस की सेना में शामिल भारतीय क्यों नहीं छूट पा रहे? सामने आई ये बड़ी वजह

पीएम मोदी के मास्को से आने के बाद रूस की सेना में 91 भारतीयों के शामिल होने की सूचना मिली थी और इसमें से 15 स्वदेश वापस आ गये हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि रूस के अधिकारियों का कहना है कि ये भारतीय एक संविदा के तहत रूस की सेना में शामिल हुए हैं हम इस तर्क को नहीं स्वीकार करते।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Sat, 07 Sep 2024 07:54 PM (IST)
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पुतिन के वादे के बावजूद अभी भी रूस की सेना से वापस नहीं आ पा रहे भारतीय (File Photo)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जुलाई 2024 में अपनी मास्को यात्रा के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से कहा था कि उनकी सेना में जिन भारतीयों को रखा गया है उनकी जल्द से जल्द रिहाई होनी चाहिए। पुतिन ने इसका वादा किया था कि ऐसा किया जाएगा। लेकिन दो महीनों से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद तकरीबन छह दर्जन भारतीयों की वापसी संभव नहीं हो पा रही। इसकी एक बड़ी वजह रूस के रक्षा मंत्रालय की तरफ से इन भारतीयों की सेवाओं को लेकर किये गये समझौते को रद्द नहीं किया जाना बताया जा रहा है।

भारत के अलावा नेपाल-श्रीलंका के लोग भी शामिल

इस मामले की जानकारी रखने वाले कूटनीतिक सूत्रों ने बताया है कि रूस का रक्षा मंत्रालय सिर्फ भारतीयों के लिए समझौतों को रद्द करने का नोटिस नहीं जारी कर सकता। यूक्रेन के साथ युद्ध की शुरुआत के बाद रूस की सेना में भारत के अलावा नेपाल, श्रीलंका व दूसरे अन्य देशों के लोगों को भी शामिल किया गया है। ऐसे में वहां का रक्षा मंत्रालय सिर्फ एक देश के लिए विशेष आदेश नहीं पारित करना चाहता।

परिवार के सदस्यों से संपर्क

कूटनीतिक सूत्र इस बात से इनकार नहीं करते कि रूस की सेना में असलियत में काम करने वाले भारतीयों की संख्या ज्यादा हो सकती है। 91 वैसे भारतीय हैं जिन्होंने स्वयं या जिनके परिवार के सदस्यों ने भारत सरकार से संपर्क किया है। नई दिल्ली में रूसी दूतावास की तरफ से यह पहले बताया गया था कि उसकी सेना में बहुत ही कम भारतीय हैं और रूस सरकार जानबूझ कर भारतीयों को अपनी सेना में शामिल करने का कोई अभियान नहीं चलाती।

  • यह भी बताया गया था कि अब रूस की सेना में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया जाता। मामले की पेचीदगी को देखते हुए ही भारत की तरफ से शीर्षस्तरीय वार्ता में यह मुद्दा उठाया गया था।
  • दरअसल, भारत के अलावा अब नेपाल और श्रीलंका के भी कई लोगों ने अपनी-अपनी सरकारों से आग्रह किया है कि उनके परिवार के लोगों को गलत जानकारी दे कर रूस की सेना में भर्ती किया गया है।

174 नेपालियों के स्वदेश लौटने की सूचना

नेपाल के प्रतिष्ठित समाचार पत्र द काठमांडू पोस्ट पिछले हफ्ते यह समाचार प्रकाशित की थी कि अभी तक 40 नेपाली नागरिक रूस की तरफ से लड़ते हुए मारे गये हैं। इस बीच 174 नेपालियों के स्वदेश लौटने की सूचना प्रकाशित की गई है। रूस की सेना में भर्ती भारतीयों ने जिस तरह से गलत सूचना के आधार पर रूस की सेना में भर्ती होने की बात कही है वहीं आरोप नेपाली नागरिकों ने भी लगाये हैं।

30 श्रीलंकाई नागरिकों की मौत

उनका कहना है कि विदेश में नौकरी कराने की बात कह कर बिचौलिये एजेंसियों ने उन्हें रूस भेज दिया था। वहां जा कर उन्हें पता चला कि उन्हें रूस की सेना की मदद करनी है। इसी तरह से रूस की सेना ने श्रीलंका से भी सैकड़ों लोगों को प्रतिबंधित किया है। श्रीलंका मीडिया में प्रकाशित खबरों के मुताबिक 30 श्रीलंकाई नागरिकों की मौत रूस-यूक्रेन युद्ध में हुई है। वहीं अभी तक नौ भारतीयों के रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे जाने की सूचना है।

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