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'भारत किसी के दबाव में नहीं आने वाला', चीन, पाकिस्तान, रूस और बांग्लादेश के साथ संबंधों पर खुलकर बोले एस जयशंकर

S Jaishankar विदेश मंत्री एस जयशंकर जो तल्ख तेवर के लिए जाने जाते हैं ने एक बार फिर अपने उसी अंदाज में भारत की विदेश नीति पर अपनी बात रखी। उन्होंने पाकिस्तान चीन रूस समेत विभिन्न देशों के साथ भारत के संबंध को लेकर स्पष्ट जवाब दिए। विदेश मंत्री ने साफ किया कि पाकिस्तान के साथ बातचीत जारी रखने का दौर समाप्त हो चुका है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 30 Aug 2024 11:45 PM (IST)
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एस जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत करने का दौर खत्म हो चुका है। (Photo- ANI)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इस्लामाबाद में अक्टूबर, 2024 में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक में पीएम नरेन्द्र मोदी को पाकिस्तान से मिले आमंत्रण के बाद चर्चा चल रही है कि क्या दोनों देशों के बीच फिर से रिश्तों को सुधारने की कोशिश हो सकती है। ऐसे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ हर हालत में बातचीत जारी रखने का दौर खत्म हो चुका है।

उन्होंने कहा कि भारत अपने इस पड़ोसी देश के साथ रिश्ते वैसे ही आगे बढ़ाएगा जैसे हालात होंगे। जयशंकर के शब्दों में, 'पाकिस्तान के साथ निरंतर वार्ता करने का दौर खत्म हो चुका है। सवाल यह है कि हम पाकिस्तान के साथ किस तरह के रिश्तों की परिकल्पना करते हैं? मेरा मानना है कि हम निष्क्रीय नहीं है। आगे हालात सकारात्मक रहते हैं या नकारात्मक रहते हैं, हम उसी हिसाब से कदम उठाएंगे।'

'दबाव में नहीं आने वाला भारत'

जयशंकर विदेश मंत्रालय के पूर्व अधिकारी राजीव सीकरी की लिखी पुस्तक 'स्ट्रेटेजिक कननड्रम : रिशेपिंग इंडियाज फॉरेन पॉलिसी' के विमोचन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने रूस के साथ रिश्तों को लेकर स्पष्ट किया कि भारत इस मामले में किसी भी दूसरे देश के दबाव में आने वाला नहीं है, लेकिन उनका फोकस भारत के पड़ोसी क्षेत्र पर ही रहा।

कहा कि दुनिया के किसी भी देश के लिए पड़ोसी के साथ या बड़ी शक्तियों के साथ रिश्ता एक पहेली होती है। बड़ी शक्तियों के साथ समस्या यह है कि वे बड़े होते हैं और उनके हित व्यापक होते हैं। उनका अपना एजेंडा होता है, जो हमारे हितों से टकराते हैं। चीन के साथ यह समस्या दोहरी है, क्योंकि वह हमारा पड़ोसी भी है और एक बड़ी शक्ति भी है।

पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते बड़ी चुनौती

जयशंकर का कहना था कि वैश्विक रिश्तों में पुरानी और नई पहचान के बीच सामंजस्य बनाना एक बड़ा मुद्दा है। इसिलए हर जगह हम देखते हैं, इतिहास एक बड़ी भूमिका निभाता है और कई बार राजनीति व इतिहास में मुकाबला होता है। भारत के लिए अपने पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते बनाने में यह एक बड़ी चुनौती है। पाकिस्तान को लेकर उन्होंने कहा कि उसके साथ निरंतर वार्ता का दौर खत्म हो चुका है।

विदेश मंत्री ने कहा, 'हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त हो चुका है। तो हमारे सामने सवाल है कि हम पाकिस्तान के साथ किस तरह के रिश्ते रखना चाहते हैं।' अफगानिस्तान के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत व अफगान जनता के बीच काफी मजबूत रिश्ते रहे हैं। वहां भारत को लेकर काफी अच्छी भावना है, लेकिन हम अपने हितों को लेकर भी स्पष्ट हैं। अफगानिस्तान आज काफी अलग है।

बांग्लादेश के साथ संबंधों पर रखी बात

उन्होंने कहा कि अमेरिकी सेना की उपस्थिति वाला अफगानिस्तान और बगैर अमेरिकी सेना वाला अफगानिस्तान एक दूसरे से काफी अलग है। बांग्लादेश को लेकर कहा कि 1971 में आजादी के बाद से इसके साथ भारत के रिश्ते उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं। यह स्वाभाविक है कि नई दिल्ली वर्तमान सरकार के साथ संबंध बनाए रखे, लेकिन हमें यह भी मानना होगा कि राजनीतिक परिवर्तन हो रहे हैं और वे विध्वंसकारी हो सकते हैं। हमें स्पष्ट रूप से आपसी हितों का आधार तलाशना होगा।