'शुरू से ही हास्यास्पद रहे हैं चीन के दावे', अरुणाचल प्रदेश को लेकर जयशंकर ने ड्रैगन को दिखाया आईना
चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताने के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को आईना दिखाते हुए उसके दावे को हास्यास्पद बताया है। विदेश मंत्री ने कहा कि अरुणाचल भारत का स्वाभाविक हिस्सा है। साथ ही उन्होंने चीन के साथ सीमा पर 2020 में हुए हिंसक झड़प पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। पढ़ें रिपोर्ट...
पीटीआई, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश को लेकर बार-बार किए जा रहे दावे को हस्यास्पद करार देते हुए खारिज कर दिया। साथ ही ड्रैगन को खरी-खरी भी सुना दी। जयशंकर ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का स्वाभाविक हिस्सा है।
इन दिनों जयशंकर तीन दिवसीय सिंगापुर दौरे पर हैं और उन्होंने एक कार्यक्रम में अरुणाचल मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कहा कि यह कोई नया मुद्दा नहीं है। मेरा मतलब है कि चीन ने अपने दावे को दोहराया है और यह नया मुद्दा नहीं है। ये दावे शुरू से ही हास्यास्पद रहे हैं और अभी भी हास्यास्पद ही बने हुए हैं।
एस जयशंकर, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के प्रतिष्ठित दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान (आईएसएएस) में आयोजित एक कार्यक्रम में व्याख्यान देने पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने सवालों के जवाब में चीन को लेकर ये बातें कहीं। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हम इस मुद्दे पर बहुत स्पष्ट, बहुत सुसंगत रहे हैं। आप जानते हैं कि यह कुछ ऐसा है, जो होने वाली सीमा चर्चा का हिस्सा होगा।"
भारत के लिए चुनौती
एक अन्य सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि "आज भारत के लिए चुनौती है कि वह दो उभरती शक्तियों के बीच स्थायी संतुलन कैसे बनाए, जो पड़ोसी भी हैं और जिनका एक इतिहास और आबादी है, जो उन्हें बाकी दुनिया से अलग करती है। जिनके पास क्षमताएं भी हैं। यह एक बहुत ही जटिल चुनौती है।"
जयशंकर ने मई 2020 में पैंगोंग झील के पास सीमा पर हुए चीन के साथ हिंसक झड़प के बारे में कहा कि "2020 में चीन ने जब सीमा पर कुछ करने का फैसला किया, तो यह भारत के लिए बड़े आश्चर्य के रूप में था, क्योंकि यह दोनों देशों की ओर से किए गए समझौतों का पूरी तरह से उल्लंघन था"।
द्विपक्षीय संबंधों में खटास
इस गतिरोध का परिणाम यह हुआ कि व्यापार को छोड़कर सभी मोर्चों पर भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध लगभग बंद हो गए हैं। भारत, चीन की आर्मी पर देपसांग और डेमचोक से सैनिकों को हटाने के लिए दबाव डाल रहा है और उसका कहना है कि जब तक सीमाओं की स्थिति असामान्य बनी रहेगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंधों में सामान्य स्थिति की बहाली नहीं हो सकती है।
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