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जयशंकर ने लगातार दूसरे दिन उठाया UN में सुधार का मुद्दा, BCCI के फार्मूले के आधार पर समाधान निकालने की कही बात

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा उठाया। रायसीना डायलॉग के एक सत्र में परिचर्चा के दौरान विदेश मंत्री ने एक तरफ संयुक्त राष्ट्र में सुधार और इसमें विकासशील देशों को सही हिस्सेदारी मिलने की बात को बहुत गंभीरता से रखा। इससे एक दिन पहले भी विदेश मंत्री इस मुद्दे को उठाया था।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Fri, 23 Feb 2024 11:49 PM (IST)
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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर। (फोटो- एएनआई)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शुक्रवार को भारत ने दो बड़े वैश्विक कूटनीतिक मंचों पर संयुक्त राष्ट्र में सुधार का मुद्दा उठाया। एक तरफ तो रायसीना डायलॉग के मंच पर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा उठाया। वहीं, विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने रियो डी जेनेरो (ब्राजील) में जी-20 संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में जोरदार तरीके से इस मुद्दे को आगे बढ़ाया। गुरुवार को भी जयशंकर ने रायसीना डायलॉग के मंच से संयुक्त राष्ट्र में सुधार का मसला उठाया था।

क्या कुछ बोले जयशंकर?

रायसीना डायलॉग के एक सत्र में परिचर्चा के दौरान विदेश मंत्री ने एक तरफ संयुक्त राष्ट्र में सुधार और इसमें विकासशील देशों को सही हिस्सेदारी मिलने की बात को बहुत गंभीरता से रखा तो वहीं हल्के-फुल्के अंदाज में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की रैकिंग और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के फार्मूले के आधार पर भी इसका समाधान निकालने की बात कही। एक दिन पहले ही इसी मंच पर एक अन्य सत्र में विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को सहमति बनाने पर अंतरराष्ट्रीय खेल होने की बात कही थी।

शुक्रवार को भी जयशंकर ने सहमति बनाने की राजनीति पर तंज कसा। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा प्रविधान के मुताबिक सुधार पर विचार के लिए भी पहले आमसहमति बनाने की जरूरत है। इसे ही सुधार की राह में सबसे बड़ी बाधा माना जा रहा है। बातों के क्रम में जयशंकर ने भारत की जी-20 अध्यक्षता का जिक्र किया और बताया कि कैसे अफ्रीकी यूनियन को इसमें स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल किया गया। विदेश मंत्री ने कहा,

अगर जी-20 का विस्तार किया जा सकता है तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता भी बढ़ाई जा सकती है।

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शासन कला की विशाल परंपरा वाली शक्ति है रूस

जयशंकर ने कहा कि रूस शासन कला की विशाल परंपरा वाली एक शक्ति है और अब उसका रुझान एशिया या दुनिया के गैर-पश्चिमी हिस्से की ओर हो रहा है। रूस की चीन से बढ़ती नजदीकी से जुड़े सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि रूस को कई विकल्प देना तर्कसंगत होगा और उसे एक ही विकल्प देना एवं फिर उसके लिए उसकी आलोचना करना एक तरह से खुद ही भविष्यवाणी को साकार करने जैसा होगा। उन्होंने कहा,

आज यह दूसरे देशों खासकर एशिया के देशों के लिए महत्वपूर्ण है कि वे रूस से रिश्ते रखें।' जयशंकर ने कहा कि पश्चिम की नीतियां रूस और चीन को करीब ला रही हैं।