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'बातचीत करने नहीं जा रहा'; पाकिस्तान यात्रा पर एस जयशंकर की दो टूक; कहा- SCO बैठक के लिए जाना जरूरी

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी पाकिस्तान की यात्रा के दौरान पड़ोसी देश से किसी भी प्रकार की बातचीत की संभावना से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा का मकसद केवल एससीओ की बैठक में हिस्सा लेना है और इसी मजबूरी के कारण उनकी यात्रा जरूरी है। गौरतलब है कि पाकिस्तान में 15 और 16 अक्टूबर को एससीओ की बैठक होनी है।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Sat, 05 Oct 2024 04:37 PM (IST)
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पाकिस्तान 15 और 16 अक्टूबर को एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद (सीएचजी) की बैठक की मेजबानी करेगा। (File Image)
आईएएनएस, नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान के दौरे पर जा रहे हैं। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह की वार्ता की संभावना को शनिवार को खारिज कर दिया और कहा कि यह एक बहुपक्षीय आयोजन है।

जयशंकर ने स्वीकार किया कि दोनों देशों के बीच संबंधों को देखते हुए उनकी पाकिस्तान यात्रा मीडिया का काफी ध्यान आकर्षित करेगी, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि यह किसी बातचीत के लिए नहीं बल्कि एससीओ शिखर सम्मेलन की मजबूरी के कारण जरूरी है।

15-16 अक्टूबर को होगी बैठक

उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, 'यह (यात्रा) एक बहुपक्षीय आयोजन के लिए होगी। मैं वहां भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने नहीं जा रहा हूं। मैं वहां एससीओ का एक अच्छा सदस्य बनने जा रहा हूं।' उन्होंने कहा, 'लेकिन आप जानते हैं, चूंकि मैं एक विनम्र और सभ्य व्यक्ति हूं, इसलिए मैं उसी के अनुसार व्यवहार करूंगा।'

गौरतलब है कि पाकिस्तान 15 और 16 अक्टूबर को एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद (सीएचजी) की बैठक की मेजबानी कर रहा है। अपनी यात्रा के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, 'मैं इस महीने के मध्य में पाकिस्तान जाने वाला हूं और वह एससीओ शासनाध्यक्षों की बैठक के लिए है। आम तौर पर, प्रधानमंत्री राष्ट्राध्यक्षों के साथ उच्च स्तरीय बैठक में जाते हैं। यह परंपरा के अनुरूप है। इस साल यह बैठक इस्लामाबाद में हो रही है, क्योंकि यह समूह का नया सदस्य है, बिल्कुल हमारी तरह।'

पाकिस्तान पर फिर साधा निशाना

जयशंकर ने समूह की आकांक्षाओं को साकार करने में एससीओ की विफलता के पीछे के कारणों को समझाया और साथ ही पाकिस्तान पर उसके आतंकी कारखानों को लेकर परोक्ष हमला भी किया। उन्होंने कहा, 'आतंकवाद एक ऐसी चीज है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस पर वैश्विक दृष्टिकोण के बावजूद, हमारा एक पड़ोसी आतंकवाद का समर्थन करना जारी रखता है और अगर ऐसा है, तो इसके परिणाम अवश्य होंगे। इस क्षेत्र में यह हमेशा की तरह नहीं चल सकता। यही कारण है कि हाल के वर्षों में सार्क की बैठकें नहीं हुई हैं।'

उन्होंने आगे कहा, 'हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि क्षेत्रीय गतिविधियां बंद हो गई हैं। वास्तव में, पिछले 5-6 वर्षों में, हमने भारतीय उपमहाद्वीप में कहीं अधिक क्षेत्रीय एकीकरण देखा है। आज, यदि आप बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और श्रीलंका के साथ हमारे संबंधों को देखें, तो आप देखेंगे कि रेलवे लाइनों को बहाल किया जा रहा है, सड़कों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है और बिजली ग्रिड का निर्माण किया जा रहा है।'