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S Jaishankar: 'उरी और बालाकोट ही हमारा जवाब', सीमा पार आतंकवाद के सवाल पर जयशंकर ने क्यों कही ये बात

S Jaishankar on Cross Border Terrorism जेएनयू के कन्वेंशन सेंटर में भारत और विश्व विषय पर पंडित हृदय नाथ कुंजरू मेमोरियल व्याख्यान को आज विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का पैमाना बहुत जटिल हो गया है। प्रतिस्पर्धा और दबाव के पारंपरिक तरीकों को प्रभाव और व्यवधान के नए उपकरणों से बल मिला है।

By Jagran News Edited By: Mahen Khanna Updated: Mon, 26 Feb 2024 10:49 PM (IST)
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S Jaishankar on Cross Border Terrorism चीन और पाक पर जयशंकर का तंज।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Jaishankar on Cross Border Terrorism विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले काफी जटिल होते हैं, लेकिन उरी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक ने दुनिया को सख्त संदेश दिया है। देश के पश्चिम मोर्चे पर बढ़ते आतंकवाद के प्रति हमारा यह करारा जवाब है।

जयशंकर सोमवार को जेएनयू के कन्वेंशन सेंटर में भारत और विश्व विषय पर पंडित हृदय नाथ कुंजरू मेमोरियल व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, राष्ट्रीय सुरक्षा का पैमाना बहुत जटिल हो गया है। प्रतिस्पर्धा और दबाव के पारंपरिक तरीकों को प्रभाव और व्यवधान के नए उपकरणों से बल मिला है। 

चीन को दिया उचित जवाबः जयशंकर

यहां भी, भारत ने दृढ़ संकल्प और धैर्य के साथ सभी को पीछे धकेलने में कामयाबी हासिल की है। चीन की चर्चा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि जब हमें चीन के साथ एलएसी पर चुनौती दी गई, तो कोविड महामारी के बीच त्वरित और प्रभावी जवाबी तैनाती उचित जवाब था। 

सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास पर हुआ काम

भारत ने सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास पर काम किया है, जो लंबे समय से उपेक्षित था। हमने देश की रक्षा व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाया है। उन्होंने कहा, जब इंडो-पैसिफिक की बात आई तो सबसे बड़े मंच पर हमने क्वाड की स्थापना की और उसे आगे बढ़ाने के अपने फैसले पर दृढ़ता से काम किया। 

पश्चिमी मोर्चे पर सीमा पार आतंकवाद की लंबे समय से चली आ रही चुनौती को अब और अधिक उचित प्रतिक्रिया मिल रही है। उन्होंने कहा, जहां भारत सवालों का जवाब देने से नहीं कतराएगा, वहीं सवाल पूछने वालों से सवाल करने का साहस भी हम रखते हैं। आर्थिक मोर्चे पर दुनिया को हमारा जवाब अधिक आत्मनिर्भरता में निहित है।

रूस से सस्ता तेल खरीदने के अपने रुख पर कायम

राजनीतिक रूप से एक अधिक प्रामाणिक और निहित प्रतिनिधित्व जो उस प्रचार का मुकाबला करेगा जो देश को बदनाम करने की कोशिश करता है। जयशंकर ने इस पर विस्तार से चर्चा की कि कैसे भारत पश्चिमी देशों के मुकाबले अपने घरेलू हितों के लिए रूस से सस्ता तेल खरीदने के अपने रुख पर कायम है। 

दुनिया अब अधिक अस्थिर और अनिश्चित दिख रही है, जो हमसे स्वतंत्र व आत्मविश्वासपूर्ण सोच की मांग कर रही है। हमने यह पहले ही देख लिया है। जब ऊर्जा खरीद विकल्पों की बात आई तो भारत ने अंतरराष्ट्रीय दबाव का विरोध करते हुए अपने घरेलू उपभोक्ताओं के हित को चुना।