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Sach Ke Sathi Seniors: दिल्‍ली में दिया डीपफेक और संदिग्ध सूचनाओं को पहचानने का प्रशिक्षण

जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग विंग विश्वास न्यूज ने सोमवार को दिल्ली के मयूर विहार फेज 3 स्थित विद्या बाल भवन स्कूल में वरिष्ठ नागरिकों के लिए सेमिनार का आयोजन किया। इसमें विश्‍वास न्‍यूज के एक्सपर्ट ने बताया कि किस तरह से डीपफेक व एआई निर्मित तस्वीरों और वीडियो की पहचान करें।कार्यक्रम के दौरान एक्सपर्ट ने प्रतिभागियों के सवालों के जवाब देते हुए उनकी आशंकाओं का भी समाधान किया।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Mon, 08 Jan 2024 07:39 PM (IST)
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सच के साथी-सीनियर्स : दिल्‍ली में दिया डीपफेक और संदिग्ध सूचनाओं को पहचानने का प्रशिक्षण।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्‍ली। जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग विंग विश्वास न्यूज ने सोमवार को दिल्ली के मयूर विहार फेज 3 स्थित विद्या बाल भवन स्कूल में वरिष्ठ नागरिकों के लिए सेमिनार का आयोजन किया। इसमें विश्‍वास न्‍यूज के एक्सपर्ट ने बताया कि किस तरह से डीपफेक व एआई निर्मित तस्वीरों और वीडियो की पहचान करें। साथ ही उनको यह भी प्रशिक्षण दिया गया कि फैक्ट चेकिंग टूल्स की मदद से किस तरह से संदिग्ध सूचनाओं की जांच की जा सकती है।

मीडिया साक्षरता अभियान के तहत आयोजित हुआ कार्यशाला

मीडिया साक्षरता अभियान के तहत आयोजित कार्यशाला में सीनियर एडिटर एवं फैक्ट चेकर उर्वशी कपूर ने कुछ उदाहरणों के जरिए सच, राय और झूठ में अंतर करना बताया। उन्होंने बताया कि किस तरह से किसी भी सूचना का सोर्स चेक करना जरूरी है। किसी भी यूआरएल पर क्लिक करने से पहले उसे ध्यान से देखें। अक्सर ऐसे वायरल फिशिंग लिंक्स के शब्दों में कुछ गलतियां होती हैं, जिन्हें आसानी से पकड़ा जा सकता है।

कार्यक्रम में दी गई डिजिटल सेफ्टी की जानकारी

उन्होंने बताया कि अगर एक कंपनी कोई स्कीम निकालती है तो वह अपनी आधिकारिक वेबसाइट या सोशल मीडिया हैंडल्स पर जानकारी जरूर देगी। कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर वायरल सूचना के बारे में जानकारी न मिले, तो वह मैसेज पूरी तरह से फर्जी होगा। कार्यक्रम में उर्वशी ने डिजिटल सेफ्टी की जानकारी देते हुए कहा कि किसी कविता या गाने की लाइन को मजबूत पासवर्ड की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।

विश्‍वास न्‍यूज के एसोसिएट एडिटर आशीष महर्षि ने रश्मिका मंदाना, काजोल और आलिया भट्ट के हाल में वायरल हुए वीडियो का उदाहरण देते हुए कहा कि इनको ध्यान से देखने पर पहचाना जा सकता है। इनके चेहरे के हाव भाव या आंखों के मूवमेंट या उंगलियों की बनावट से ऐसे वीडियो को पकड़ा जा सकता है। उन्होंने एआई निर्मित तस्वीरों या डीपफेक वीडियो से समाज पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

जागरूक मतदाता बनने के लिए प्रतिभागियों को किया गया प्रेरित

कार्यक्रम के दौरान दोनों ही एक्सपर्ट ने प्रतिभागियों के सवालों के जवाब देते हुए उनकी आशंकाओं का समाधान किया। इस बीच उनको जागरूक मतदाता बनने के लिए भी प्रेरित किया गया।

यूपी, बिहार के अलावा कई अन्य राज्यों में भी हो चुके हैं आयोजन

नई दिल्‍ली से पहले यूपी, बिहार, एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के लोगों के लिए भी सेमिनार और वेबिनार का आयोजन हो चुका है। गूगल न्यूज इनिशिएटिव (जीएनआई) की सहायता से संचालित हो रहे इस कार्यक्रम का अकादमिक भागीदार माइका (मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशंस, अहमदाबाद) है।

अभियान के बारे में

'सच के साथी सीनियर्स' भारत में तेजी से बढ़ रही फेक और भ्रामक सूचनाओं के मुद्दे को उठाने वाला मीडिया साक्षरता अभियान है। कार्यक्रम का उद्देश्य 15 राज्यों के 50 शहरों में सेमिनार और वेबिनार की श्रृंखला के माध्यम से स्रोतों का विश्लेषण करने, विश्वसनीय और अविश्वसनीय जानकारी के बीच अंतर करते हुए वरिष्ठ नागरिकों को तार्किक निर्णय लेने में मदद करना है।