सारा अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन के दावों को किया खारिज
अब्दुल्ला ने कहा उमर अब्दुल्ला के फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट उन्होंने नहीं की थीं।
By Nitin AroraEdited By: Updated: Tue, 17 Mar 2020 09:54 AM (IST)
नई दिल्ली, प्रेट्र। सारा अब्दुल्ला पायलट ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर प्रशासन के उस दावे को खारिज कर दिया कि उनके भाई और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को रिहा करने से कानून-व्यवस्था को खतरा पैदा होगा। पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से उमर अब्दुल्ला हिरासत में हैं।
सारा ने जम्मू-कश्मीर सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत उमर अब्दुल्ला की हिरासत को चुनौती दी है। सारा ने कहा कि उनके भाई के सत्यापित फेसबुक अकाउंट की जांच से वह यह देखकर चकित रह गईं कि उमर के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण तरीके से इस्तेमाल की गईं उनकी सोशल मीडिया पोस्ट उन्होंने की ही नहीं थीं।उनकी याचिका पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से दायर जवाब पर रिज्वाइंडर में सारा ने कहा, 'मामले के तथ्य और परिस्थितियों में बंदी (उमर) के खिलाफ जो सामग्री इस्तेमाल की गई है वे सिर्फ उनकी सोशल मीडिया पोस्ट्स हैं। ऐसी पोस्ट पर निर्भरता जो अस्तित्व में ही नहीं है और जिन्हें गलत व दुर्भावनापूर्ण तरीके से बंदी का बताया जा रहा है, पूरे हिरासत आदेश को निष्प्रभावी, कानूनी रूप से बेअसर और असंवैधानिक बनाती है।'
इसमें कहा गया है कि एसएसपी के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से शुरुआत से पूरी कवायद दुर्भावनापूर्ण, बदनीयत, अफसोसनाक तरीके से बिना दिमाग का इस्तेमाल किए की गई है। लिहाजा इसे तत्काल प्रभाव से रद किया जाना चाहिए।रिज्वाइंडर के मुताबिक, बंदी को पहले कुछ सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई थी, लेकिन अब उसे जम्मू-कश्मीर प्रशासन के हलफनामे के साथ रिकॉर्ड पर रखा जा रहा है। शुरुआत में सामग्री का उपलब्ध नहीं कराया जाना संविधान के अनुच्छेद 22(5) के तहत बंदी के प्रभावी प्रतिनिधित्व के अधिकार का उल्लंघन है।