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Sarojini Naidu: कैदी की तरह महसूस करती थी सरोजिनी नायडू, इसलिए संभाला था उत्‍तर प्रदेश की राज्‍यपाल का पद

Sarojini Naidu देश की पहली महिला राज्‍यपाल और भारत की कोकिला सरोजिनी नायडू का आज जन्मदिन है। इस दिन को राष्‍ट्रीय महिला दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। सरोजिनी ने एक कार्यकर्ता प्रसिद्ध कवि और गीतकार के रूप में अपनी पहचान बनाई थी।

By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Mon, 13 Feb 2023 10:38 AM (IST)
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Sarojini Naidu: कैदी की तरह महसूस करती थी सरोजिनी नायडू

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Sarojini Naidu: देश की पहली महिला राज्‍यपाल और भारत की कोकिला (Nightingale of India) सरोजिनी नायडू का आज जन्मदिन है। इस दिन को राष्‍ट्रीय महिला दिवस (International Women's day) के रूप में भी मनाया जाता है। सरोजिनी ने एक कार्यकर्ता, प्रसिद्ध कवि और गीतकार के रूप में अपनी पहचान बनाई थी। ये देश की वो महिला है जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष किया था।

महज 12 साल की उम्र से अपने करियर की शुरुआत करने वाली प्रसिद्ध लेखकों में से एक सरोजिनी नायडू ने देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपना परचम लहराया। 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में जन्मी सरोजिनी नायडू को भारत की कोकिला के रूप में जाना जाने लगा। उन्होंने छोटी सी उम्र से ही कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। आइये जानते है उनसे जुड़ी कुछ अहम बातें..

सरोजिनी नायडू

आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी सरोजिनी एक होनहार छात्रा थी। उन्होंने महज 12 वर्ष से ही साहित्य में अपना करियर बनाना शुरू कर दिया था। उन्हें 'माहेर मुनीर' नामक एक नाटक लिखने के बाद से पहचान मिलने लगी थी।

जब वह 16 साल की हुई तो उन्हें हैदराबाद के निजाम से छात्रवृत्ति मिली और वे लंदन के किंग्स कॉलेज में पढ़ने चली गईं। भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में जुड़ने के साथ-साथ उन्होंने हर जगह जाकर देश की महिलाओं को भी आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया था।

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'कैद कर दिये गये जंगल के पक्षी'- नायडू

सरोजिनी नायडू उत्‍तर प्रदेश की राज्‍यपाल और देश की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं। लेकिन वह इस पद से नाखुश थी। वह इस पद को एक तरह की कैद समझती थीं। उन्होंने इस पद को ग्रहण करने के बाद ये भी कह डाला था कि ''मैं अपने को 'कैद कर दिये गये जंगल के पक्षी' की तरह अनुभव कर रही हूं।'

भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस की अध्‍यक्ष से थी गहरी दोस्ती

सरोजिनी नायडू की भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस की अध्‍यक्ष एनी बेसेन्ट से गहरी दोस्ती थी। यहीं नहीं, वे देश के राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की भी प्रिय शिष्या थीं। वे इन दोनों से इतनी ज्यादा प्रभावित थी कि उन्होंने अपना सारी जीवन देश के लिए ही अपर्ण कर दिया। वे इन दोनों के अलावा तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की भी मित्र थी और यहीं कारण है कि उन्होंने नेहरु के इच्छा से उत्तर प्रदेश के राज्‍यपाल का पद संभाला था।

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महज 13 साल की उम्र में लिखी थी ये कविता

नायडू एक बेहतरीन कवियत्री थीं और उन्होंने बचपन में ही अपनी हुनर का परिचय दे दिया था। महज 13 साल की उम्र में उन्होंने लेडी ऑफ दी लेक नामक कविता लिखी। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री की पहचान दे दी थी।

हिंदी के अलावा इन भाषाओं की थी जानकार

सरोजिनी नायडू को हिंदी के अलावा अंग्रेजी, बंगला और गुजराती भाषा आती थी। वह अपने भाषण भी इन्हीं भाषाओं के आधार पर देती थीं। जब लंदन की एक सभा को संबोधित करना था, तब सरोजनी ने अंग्रेजी में बोलकर वहां उपस्थित सभी लोगों को दिल जीत लिया था।

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