Satya Mohan Joshi: नेपाल के सम्मानित इतिहासकार ‘शताब्दी पुरुष‘ सत्य मोहन जोशी का 103 साल की उम्र में निधन
Satya Mohan Joshiनेपाल के शताब्दी पुरुष के नाम से लोकप्रिय रहे सत्य मोहन जोशी का रविवार को निधन हो गया।इतिहासकार सत्य मोहन जोशी का 103 वर्ष की आयु में निधन हुआ है।सत्य मोहन जोशी उम्र से जुड़ी अन्य बीमारियों के अलावा हृदय और डेंगू की बीमारियों से भी पीड़ित थे।
By Babli KumariEdited By: Updated: Sun, 16 Oct 2022 10:39 AM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। Satya Mohan Joshi नेपाल के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले साहित्यकार सत्य मोहन जोशी का निधन हो गया है। जोशी ने 103 साल की उम्र में आखरी सांस ली। केआईएसटी मेडिकल कॉलेज एंड टीचिंग हॉस्पिटल के निदेशक सूरज बजराचार्य के मुताबिक, जोशी का रविवार सुबह 7:09 बजे निधन हो हुआ।
खबर के मुताबिक सत्य मोहन जोशी (Satya Mohan Joshi) का विगत 23 सितंबर से प्रोस्टेट और हृदय संबंधी बीमारियों का इलाज चल रहा था। 10 अक्टूबर को उनकी स्थिति में सुधार नहीं होने पर उन्हें गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में स्थानांतरित किया गया था।
नेपाल के शताब्दी पुरुष ने दान किया अपना शरीर
शताब्दी पुरुष जोशी के बेटे अनु राज जोशी अस्पताल में उनकी देखभाल कर रहे थे। उन्होंने बताया, जोशी अपना शरीर दान कर चुके हैं, लेकिन परिवार ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि उनके शरीर का क्या करना है।सत्य मोहन जोशी के बेटे अनु राज जोशी, जो अस्पताल में उनकी देखभाल कर रहे थे, ने कहा कि उनके पिता ने अपना शरीर दान किया है, लेकिन परिवार ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि उनके शरीर का क्या करना है। जोशी ने कहा, 'उन्होंने पहले ही अपना शरीर अस्पताल को दान कर दिया है, और हमें अभी इस पर चर्चा करनी है कि आगे क्या करना है।'
निमोनिया और डेंगू से थे पीड़ित
निमोनिया और डेंगू से थे पीड़ित
अस्पताल सूत्रों के अनुसार शुक्रवार से जोशी की तबीयत बिगड़ गई। गुरुवार से उन्हें ऑक्सीजन दी जा रही थी और उनकी हृदय गति भी अस्थिर थी। जोशी यूरिन इन्फेक्शन और निमोनिया से भी पीड़ित थे और हाल ही में एक रक्त परीक्षण से पता चला कि उन्हें डेंगू भी था।जोशी लंबे समय से प्रोस्टेट और हृदय रोग से पीड़ित थे। इलाज के लिए उन्हें पहले भी कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इससे पहले 14 अप्रैल को सीने में दर्द और पेशाब करने में दिक्कत होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चार दिन अस्पताल में रहने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।