Save Water: पानी के प्रबंधन के लिए अलग प्राधिकरण बनाएंगे राज्य, जल उपलब्धता और आपूर्ति की मिलेगी रियल टाइम जानकारी
राज्यों से कहा गया है कि वे नए संसाधन विकसित करने पर जितना ध्यान दें उतना ही मौजूदा संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल को भी सुनिश्चित करें। पाइप युक्त सिंचाई नेटवर्क के विकास की बातें लंबे समय से की जा रही हैं लेकिन इस पर प्रगति की रफ्तार बहुत धीमी है और यह बड़ा कारण है कि कृषि में पानी के इस्तेमाल के दौरान इस संसाधन की बर्बादी।
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। पानी से जुड़े कुछ अहम विषयों पर केंद्र और राज्य सुधार के कदमों पर राजी हुए हैं। इनमें राज्यों में पानी के प्रबंधन के लिए अलग प्राधिकरण की स्थापना और घरेलू इस्तेमाल के लिए पानी के शुल्क के लिए व्यावहारिक ढांचा बनाना शामिल है। राज्यों के जल संसाधन सचिवों के साथ आयोजित दो दिवसीय बैठक में पानी का प्रबंधन और उसके उपयोग की दक्षता बढ़ाने के अहम बिंदुओं पर एक साथ आगे बढ़ने का फैसला हुआ। इसमें सबसे प्रमुख है हर राज्य में जल संसाधनों के पूरे ढांचे की निगरानी के लिए एक अलग प्राधिकऱण स्थापित करने का फैसला।
बेहतर तरीके से जवाबदेही स्थापित हो सकेगीपानी का मसला तमाम विभागों के बीच फंसा होने के कारण यह निर्णय अहम है, क्योंकि इसकी मदद से एक स्थान पर सभी फैसले लेने का मार्ग प्रशस्त होगा और बेहतर तरीके से जवाबदेही स्थापित हो सकेगी। केंद्र सरकार ने राज्यों से यह भी अपेक्षा की है कि वे राष्ट्रीय जल नीति के अनुरूप अपने-अपने यहां राज्य जल नीति तैयार करें और उस पर सही तरह अमल सुनिश्चित करें।
रियल टाइम जानकारी मिल सकेगीइसी के तहत उन्हें पानी को लेकर नवीनतम सूचनाओं के लिए वाटर इन्फार्मेटिक सेंटर भी बनाने होंगे, जो पहले से मौजूद राष्ट्रीय जल सूचना केंद्र से जुड़ा होगा। इसका लाभ यह होगा कि पानी की उपलब्धता, आपूर्ति, जल स्तर आदि की रियल टाइम जानकारी मिल सकेगी। राजनीतिक रूप से संवेदनशील पानी के टैरिफ और कृषि में जल के इस्तेमाल को लेकर भी कुछ राज्यों के अपने-अपने तर्कों के बावजूद इस पर सहमति व्यक्त की गई है कि राज्य खुद ही तार्किक टैरिफ ढांचे के लिए प्रयास करेंगे।
सिंचाई परियोजनाओं को एक साथ मिलाने का सुझाव 80 प्रतिशत तक पानी के प्रयोग वाली कृषि में सुधार की सबसे बड़ी जरूरत पर राज्य सहमत हैं। इसमें सबसे बड़ी चुनौती है जल संसाधन बनाने और खपत में अंतर को कम करना। इसके लिए केंद्र ने तमाम छोटी-छोटी सिंचाई परियोजनाओं को एक साथ मिलाने का भी सुझाव दिया है।संसाधनों का बेहतर इस्तेमालराज्यों से कहा गया है कि वे नए संसाधन विकसित करने पर जितना ध्यान दें, उतना ही मौजूदा संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल को भी सुनिश्चित करें। पाइप युक्त सिंचाई नेटवर्क के विकास की बातें लंबे समय से की जा रही हैं, लेकिन इस पर प्रगति की रफ्तार बहुत धीमी है और यह बड़ा कारण है कि कृषि में पानी के इस्तेमाल के दौरान इस संसाधन की बर्बादी का सिलसिला भी कायम है।
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