Electoral Bonds Number: चंदे का खुलासा होने की संभावना से 'इंडिया इंक' चिंतित, इस बात का सता रहा सबसे ज्यादा डर
उद्योग जगत के लोग यह भी मान रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनके लिए राजनीतिक दलों को चंदा देने का मौजूदा रास्ता बंद हो गया है और अब उन्हें एक बार फिर राजनीतिक दलों के तरीके से चंदा देना होगा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही उद्योग चैंबरों के बीच विमर्श का दौर चल रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही उद्योग चैंबर एसोचैम और सीआइआइ की तरफ से चुनावी बॉन्ड से संबंधित जानकारी को सार्वजनिक करने के आवेदन पर सुनवाई नहीं की लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने उद्योग जगत की चिंताओं को सामने ला दिया है। इस बारे में उद्योग जगत के प्रतिनिधि साफ तौर पर कुछ नहीं बोल रहे लेकिन दैनिक जागरण ने जब उद्योग चैंबरों के कुछ लोगों से बात की तो उनकी असहजता साफ तौर पर सामने आ जाती है।
उद्योग जगत के लोग इस बात से चिंतित है कि चुनावी बॉन्ड में हर एक कंपनी ने किस-किस राजनीतिक पार्टी को धन प्रदान किया है, यह बात सामने आ जाएगी। ऐसे में इनका डर है कि उन्हें बाद में राजनीतिक तौर पर निशाना बनाया जा सकता है।
उद्योग चैंबरों के बीच विमर्श का दौर
उद्योग जगत के लोग यह भी मान रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनके लिए राजनीतिक दलों को चंदा देने का मौजूदा रास्ता बंद हो गया है और अब उन्हें एक बार फिर राजनीतिक दलों के तरीके से चंदा देना होगा। यह बात भी पता चली है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फरवरी 2024 में चुनावी बॉन्ड स्कीम को लेकर फैसला आने के बाद से ही उद्योग चैंबरों के बीच विमर्श का दौर चल रहा है।आवेदन प्रक्रिया का पालन नहीं किया
इस विमर्श के बाद ही 18 मार्च 2024 को एसोचैम और सीआइआइ की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक अंतरिम आवेदन देने की कोशिश की गई। माना जा रहा है कि यह आवेदन चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी को सार्वजनिक करने पर रोक लगाने को लेकर थी। कोर्ट ने यह कहते हुए इनके आवदेन को खारिज कर दिया कि यह सही तरीका नहीं है। अंतरिम आवेदन करने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। संभवत: उद्योग चैंबरों की तरफ से फिर से कोशिश की जाएगी।
नाम सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए
देश की प्रख्यात उद्यमी और बायोकान लिमिटेड की संस्थापक किरण मजूमदार शा ने भी सोमवार को इस बात का समर्थन किया है कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अगर किसी ने व्यक्तिगत तौर पर चंदा दिया है तो उसका नाम सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए।दरअसलस, एक दिन पहले जो डाटा चुनाव आयोग ने सार्वजनिक किया है उसमें यह बताया गया है जेडीएस को बायोकान की तरफ से चुनावी चंदा दिया गया है। जबकि शा ने कहा है कि यह चंदा उन्होंने अपने व्यक्तिगत तौर पर दिया है। उन्होंने एक भी स्पष्टीकरण दिया है कि बायोकान ने कोई राजनीतिक चंदा नहीं दिया है।
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