SBI ने RTI के तहत चुनावी बांड की जानकारी देने से किया इनकार, इन धाराओं का दिया हवाला
एसबीआइ ( Electoral Bond ) ने सूचना का अधिकार यानी आरटीआइ एक्ट के तहत निर्वाचन आयोग को दिए गए चुनावी बांड के विवरण की जानकारी देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक और स्पष्ट रूप से मनमाना करार देते इसे रद्द कर दिया था। कोर्ट ने आयोग को संबंधित विवरण 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया था।
पीटीआई, नई दिल्ली। एसबीआइ ने सूचना का अधिकार यानी आरटीआइ एक्ट के तहत निर्वाचन आयोग को दिए गए चुनावी बांड के विवरण की जानकारी देने से इनकार कर दिया है, भले ही रिकार्ड आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक हो चुका है। बैंक ने कहा कि यह वादे के अनुसार संभालकर रखी गई व्यक्तिगत जानकारी है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक और स्पष्ट रूप से मनमाना करार देते इसे रद कर दिया था। साथ ही 15 फरवरी को एसबीआइ को निर्देश दिया था कि वह 12 अप्रैल, 2019 से खरीदे गए चुनावी बांड का पूरा विवरण निर्वाचन आयोग को सौंपे।
कोर्ट ने दिया आदेश
कोर्ट ने आयोग को संबंधित विवरण 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया था। आयोग ने 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर एसबीआइ की ओर से प्रस्तुत डाटा प्रकाशित किया था, जिसमें बांड खरीदने वाले दानदाताओं और इन्हें भुनाने वाले राजनीतिक दलों का विवरण शामिल था।आरटीआइ कार्यकर्ता कमोडोर (सेवानिवृत्त) लोकेश बत्रा ने 13 मार्च को एसबीआइ से संपर्क कर डिजिटल फार्म में चुनावी बांड का वैसा ही पूरा डाटा मांगा था जैसा कि उसने कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग को उपलब्ध कराया था।
इन दो धाराओं का दिया हवाला
केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी तथा एसबीआइ के उप महाप्रबंधक द्वारा बुधवार को दिए जवाब में कहा गया कि आपके द्वारा मांगी गई सूचना में खरीदारों और राजनीतिक पार्टियों से जुड़ी जानकारी मांगी गई है और इसे एक जिम्मेदारी के तहत सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। आरटीआइ कानून की धारा 8(1)(ई) और (जे) के तहत ऐसी जानकारी देने से छूट प्राप्त है। इनमें पहली धारा पूरी जिम्मेदारी की क्षमता में रखे गए रिकार्ड से संबंधित है तो दूसरी व्यक्तिगत जानकारी उपलब्ध कराने से रोकती है।बत्रा ने चुनावी बांड के रिकार्ड की जानकारी देने के खिलाफ एसबीआइ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को बैंक की ओर से दी गई फीस की रकम का भी ब्योरा मांगा था, हालांकि यह कहते हुए संबंधित जानकारी देने से इन्कार कर दिया गया कि यह जानकारी व्यक्तिगत प्रकृति की है।