Patanjali Case: 'अब आखिरकार उन्हें समझ आ गया', पंतजलि की सार्वजनिक माफीनामा की सु्प्रीम कोर्ट ने की प्रशंसा
भ्रामक विज्ञापन (SC Patanjali) मामले में योग गुरु रामदेव उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा सार्वजनिक माफी में उल्लेखनीय सुधार की सुप्रीम कोर्ट ने सराहना की। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ द्वारा की जा रही है। न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा कि हम इसकी सराहना करते हैं। दरअसल पहले जब माफीनामा प्रकाशित हुआ था तो उसमें केवल कंपनी का नाम था।
पीटीआई, नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा सार्वजनिक माफी में 'उल्लेखनीय सुधार' की सुप्रीम कोर्ट ने सराहना की। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ द्वारा की जा रही है।
रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए। पीठ ने वकील से कहा कि माफी की भाषा पर्याप्त थी और इसमें नाम भी थे। मुझे नहीं पता कि दूसरी माफी किसकी जांच पर है। इसमें उल्लेखनीय सुधार हुआ है।'
पीठ ने किस बात को लेकर की तारीफ
न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा, 'हम इसकी सराहना करते हैं। अब आखिरकार उन्हें समझ आ गया है। दरअसल, पहले जब माफीनामा प्रकाशित हुआ था तो उसमें केवल कंपनी का नाम था। इसको लेकर न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा कि अब इसमें काफी सुधार हुआ है। हम इसकी सराहना करते हैं।सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने कंपनी के वकील से पूछा था कि उन्होंने समाचार पत्रों में प्रकाशित माफी को ई-फाइल क्यों किया है, जबकि अदालत ने 23 अप्रैल को विशेष रूप से कहा था कि माफी ओरिजिनल रिकॉर्ड दाखिल करनी होगी। दरअसल शीर्ष अदालत ने माफीनामे वाले अखबार का पूरा पेज रिकॉर्ड में न रखने को लेकर नाराजगी जताई थी। न्यायमूर्ति कोहली ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह हमारे आदेश का अनुपालन नहीं है। हमने ओरिजिनव कॉपी मांगी थी, वो कहां है?'
7 मई को होगी अगली सुनवाई, रामदेव को मिली छूट
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि कंपनी के वकील ने माना है कि अदालत द्वारा पारित आदेशों को लेकर कुछ गलतफहमी हुई है। इसमें समाचार पत्र माफीनामा को दाखिल कर आदेश का अनुपालन करने का एक और अवसर दिया जाए जिसमें सार्वजनिक माफी प्रकाशित की गई है। पीठ ने कहा, 'रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि दाखिल होने पर उक्त दस्तावेज को स्वीकार किया जाए। बता दें कि मामले की सुनवाई 7 मई को होगी। इसमें रामदेव और बालकृष्ण को अगली सुनवाई में पेश होने से छूट दी है।क्या है मामला?
उल्लेखनीय है कि शीर्ष अदालत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। ये याचिका 2022 में सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीन और एलोपैथी के खिलाफ नैगेटिव प्रचार किया। साथ ही अपने आयुर्वेदिक दवाओं का झूठा प्रचार कर लोगों को बहकाया। पंताजलि के ऐड में दिखाया गया है कि पतंजलि प्रोडक्ट कोविड वायरस समेत कई बड़ी बीमारियों को ठीक कर सकती है।
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