Move to Jagran APP

मुस्लिम पक्ष को नहीं मिली राहत, जारी रहेगा बुलडोजर एक्शन! SC का यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देने से इनकार

Gujarat News औलिया-ए-दीन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में गुजरात के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की। कमेटी की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। गुजरात सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। कमेटी ने अवैध रूप से निर्माण ढहाने का आरोप लगाया। हालांकि शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष को शीर्ष अदालत से राहत नहीं मिली।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Fri, 25 Oct 2024 04:31 PM (IST)
Hero Image
अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान शीर्ष अदालत ने गुजरात के गिर सोमनाथ में मुस्लिम धर्मस्थलों और अन्य निर्माण के कथित अवैध विध्वंस पर यथास्थिति का आदेश देने से इंकार कर दिया।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की। शुरुआत में पीठ यथास्थिति का आदेश देने के पक्ष में थी। मगर सुनवाई आगे बढ़ने पर पीठ ने कहा कि इस स्तर पर ऐसे किसी आदेश की जरूरत नहीं है।

सरकारी जमीन है: गुजरात सरकार

मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि संपत्तियां वक्फ की जमीन पर हैं। राज्य सरकार को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह किसी तीसरे पक्ष के अधिकार का सृजन न करे। उधर, गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता औलिया-ए-दीन कमेटी के नाम पर कुछ भी नहीं है। यह सरकारी जमीन है।

याचिका पर कमेटी ने क्या आरोप लगाया?

बता दें कि औलिया-ए-दीन कमेटी ने गुजरात सरकार पर अवैध निर्माण ढहाने का आरोप लगाया। कमेटी ने शीर्ष अदालत में अवमानना याचिका भी दाखिल की। यह अवमानना याचिका गुजरात के अधिकारियों के खिलाफ दाखिल की गई है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने ​​याचिका पर सुनवाई की। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक के बावजूद और बिना पूर्व अनुमति के गुजरात में कथित रूप से आवासीय और धार्मिक निर्माण को अवैध रूप से ध्वस्त किया गया है।

क्या था सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश?

17 सितंबर को शीर्ष अदालत ने देशभर में अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन पर अंतरिम रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि अगले आदेश तक कोई बुलडोजर कार्रवाई नहीं होगी। अगर एक्शन लेना है तो उससे पहले सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेनी होगी।

कोर्ट ने यह भी कहा था कि बुलडोजर कार्रवाई का महिमामंडन नहीं होना चाहिए। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने यह स्पष्ट किया था कि अवैध निर्माण, अतिक्रमण, सड़क, रेलवे लाइन, फुटपाथ और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे पर आदेश लागू नहीं होगा।

कई राज्यों में लोगों के मकानों पर बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अपना पक्ष रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर गाइडलाइन बनाने की बात कही है। इसका सभी राज्यों को पालन करना होगा।

यह भी पढ़ें:  हम भानुमती का पिटारा नहीं खोलना चाहते...; सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

यह भी पढ़ें: देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- हमारी अनुमति से ही लें एक्शन