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सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के सुरक्षित प्रवेश पर आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार

केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के सुरक्षित प्रवेश को लेकर दो याचिकाएं दायर की गई जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने किसी तरह का आदेश देने से इन्कार कर दिया

By Monika MinalEdited By: Updated: Fri, 13 Dec 2019 07:17 PM (IST)
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के सुरक्षित प्रवेश पर आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार
नई दिल्‍ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन याचिकाओं पर आदेश पारित करने से इन्कार कर दिया जिसमें दो महिलाओं ने सबरीमाला मंदिर में सुरक्षित प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए केरल सरकार को निर्देश देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई के लिए जल्द से जल्द बड़ी बेंच गठित करने का प्रयास करेगी। कोर्ट ने मामला संवेदनशील बताते हुए कहा था कि यह किसी तरह का बवाल नहीं चाहता।

चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने कि मामले में आज बताया कोई आदेश पास नहीं हुआ क्‍योंकि मामले को पहले ही सात सदस्‍यीय जजों वाले एक बेंच के पास भेज दिया गया। जस्टिस बीआर गवई और सूर्य कांत भी इस बेंच में शामिल हैं। इस बेंच ने कहा कि 28 सितंबर को दिए गए फैसले पर रोक नहीं लगाई गई जिसमें मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दी गई थी लेकिन यह भी सत्‍य है कि यह अंतिम फैसला नहीं था।

सीजेआइ ने सबरीमाला जाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता बिंदू अम्मिनी और रेहाना फातिमा को सुरक्षा देने से इन्कार करते हुए कहा कि मंदिर में प्रार्थना करने के लिए महिलाओं का अगर राजी खुशी स्वागत होता है तो कोई समस्या ही नहीं है। वैसे इस मामले इस साल जनवरी में पारित में पुराने आदेश को ही माना जाएगा। इस पूरे मामले को सात जजों की बेंच को सौंपा गया है और जल्द ही इस बेंच का गठन किया जाएगा। बिंदू ने पिछले साल भी मंदिर जाने का प्रयास किया था और किसी श्रद्धालु ने उन पर मिर्ची पाउडर फेंक दिया था। चीफ जस्टिस ने कहा कि कुछ विषय देश में ऐसे भी होते है, जो बहुत विस्फोटक होते हैं। ये उन्हीं में से एक हैं। सुनवाई के दौरान सीजेआइ ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों पर भी चिंता जताई।

सात जजों की संविधान पीठ का गठन जल्द

कोर्ट ने कहा, ‘हम किसी तरह का हिंसा नहीं चाहते हैं। मामले पर विचार के लिए बड़ी बेंच का गठन करेंगे। साथ ही सभी याचिकाओं पर विचार करेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से केरल सरकार को यह निर्देश दिया गया कि याचिकाकर्ता अगर कोई सुरक्षा चाहती हैं तो उसका मूल्यांकन कर सुरक्षा दी जाए।

गौरतलब है कि सबरीमाला का दो महीनों का त्योहार पिछले हफ्ते औपचारिक रूप से शुरू हो गया है। हजारों श्रद्धालु भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए सबरीमाला पहुंचना शुरू हो गए हैं। 16 नवंबर को मंडल पूजा उत्सव के लिए सबरीमाला मंदिर के कपाट खोले गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी थी। हालांकि, इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे सात जजों की बड़ी बेंच को भेज दिया था।