समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का मामला SC ने 5 जजों की संविधान पीठ को सौंपा, 18 अप्रैल को होगी सुनवाई
केंद्र की ओर से पेश SG तुषार मेहता का कहना है कि प्यार अभिव्यक्ति और पसंद की स्वतंत्रता का अधिकार पहले से ही बरकरार है और कोई भी उस अधिकार में हस्तक्षेप नहीं कर रहा है लेकिन इसका मतलब शादी के अधिकार को प्रदान करना नहीं है। (जागरण-फोटो)
By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 13 Mar 2023 04:14 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई करेगी। सोमवार को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग को महत्वपूर्ण मुद्दा मानते हुए विचार के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को सौंप दिया है। मामले में 18 अप्रैल को सुनवाई होगी।
शादी के अधिकार को प्रदान करना सही नहीं : SG तुषार
केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा मामले में आने वाला फैसला पूरे समाज पर असर डालेगा इसलिए कोर्ट किसी भी पक्ष की बहस में कटौती न करे, सभी को दलीलें रखने का पूरा मौका दिया जाए। इसके साथ ही मामले की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग (सीधा प्रसारण) की याचिकाकर्ता की ओर से की गई मांग भी पूरी हो गई क्योंकि संविधान पीठ में होने वाली सुनवाइयों का पहले से ही सीधा प्रसारण शुरू हो चुका है।
याचिकाएं ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों ने भी दाखिल की
सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं जिनमें समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग की गई है। कुछ याचिकाएं ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों ने भी दाखिल कर रखी हैं। केंद्र सरकार ने मामले में हलफनामा दाखिल कर याचिकाओं का विरोध किया है। सरकार ने हलफनामे में कहा है कि इसको मान्यता से पर्सनल ला और स्वीकार्य सामाजिक मूल्यों में संतुलन प्रभावित होगा।समान लिंग के व्यक्तियों के पार्टनर्स के रूप में साथ रहने और यौन संबंध रखने की भारतीय परिवार इकाई की अवधारणा के साथ तुलना नहीं की जा सकती।सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सोमवार को यह मामला सुनवाई के लिए लगा था। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, पीएस नरसिम्हा और जेबी पार्डीवाला की पीठ ने मामले को संविधान पीठ को भेजते हुए आदेश में कहा कि मामला महत्वपूर्ण है जिसमें एक तरफ तो संवैधानिक अधिकारों की दलील दी जा रही है और दूसरी ओर विशेष कानूनों जैसे विशेष विवाह अधिनियम आदि का मुद्दा शामिल है इसलिए उचित होगा कि इस मामले पर पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ विचार करे।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ ने कहा
सोमवार को हुई संक्षिप्त सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया है। पक्षकार भी प्रति उत्तर दाखिल करेंगे कोर्ट फाइनल सुनवाई के लिए अप्रैल की कोई तारीख लगा दे। चीफ जस्टिस ने कौल से कहा कि केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि ये मामला कानून से जुड़ा हुआ है ऐसे में आप क्या कहेंगे।कौल ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाले संविधान पीठ के नवतेज सिंह जौहर के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि उसके बाद स्थिति बदल गई है उसे देखते हुए कोर्ट को समलैंगिक विवाह को मान्यता के मामले में विशेष विवाह अधिनियम के प्राविधानों की व्याख्या करनी होगी। विशेष विवाह कानून की धारा पांच किन्हीं दो लोगों के बीच शादी की बात करती है।