ट्रांसजेंडर समुदाय को रक्तदान से रोकने पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
रक्तदान जैसे सामाजिक कार्य में योगदान देने से ट्रांसजेडर समुदाय को रोकने वाले केंद्र के दिशानिर्देशों पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई और नोटिस जारी किया है। मामले में टी संता सिंह ने जनहित याचिका दायर की है।
नई दिल्ली, एएनआइ। ट्रांसजेंडर समुदाय को रक्तदान से रोकने को लेकर केंद्र सरकार ने गाइडलाइंस जारी किया था। इसपर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार व अन्य दलों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट में एक जनहित याचिका (Public Intrest Litigation,PIL) पर सुनवाई की जा रही थी जिसमें रक्तदान गाइडलाइंस के धारा 12 और 51 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है जिसके कारण ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को रक्तदान करने से रोक लगा दी गई है। मामले में टी संता सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने वाली चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने सरकार को नोटिस जारी किया।
CJI बोबडे की अध्यक्षता में मामले की सुनवाई करने वाली बेंच ने कहा, 'हमने नोटिस जारी कर दिया है और हम उनका जवाब देखेंगे।' PIL दायर करने वाली संता सिंह ने संविधान की इन धाराओं पर रोक लगाने की मांग की है। सामाजिक कार्यकर्ता थंगजाम सांता सिंह मणिपुर की रहने वाली हैं। उन्होंने याचिका में संविधान के इस नियम को भेदभाव वाला बताया। इसपर आज सुप्रीम कोर्ट ने सरकार, नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल और NACO से जवाब मांगा। सांता का कहना है कि वर्ष 2017 में रक्तदान संबंधित गाइडलाइन जारी किए गए। इसमें रक्तदान करने के योग्य लोगों की लिस्ट दी गई है। लिस्ट के सीरियल नंबर 12 में इस बात का जिक्र है कि ट्रांसजेंडर रक्तदान नहीं कर सकते।
याचिकाकर्ता के सीनियर वकील जयना कोठारी ने कोर्ट को बताया कि यह नियम 1980 के दशक में प्रचलित धारणाओं के आधार पर बनाए गए हैं। उस वक्त यह माना जाता था कि ट्रांसजेंडर और समलैंगिक को एचआईवी/एड्स का खतरा अधिक होता है। जब रक्तदान से पहले हर ब्लड डोनर का एचआईवी, हेपटाइटिस और दूसरी संक्रामक बीमारियों का टेस्ट होता है, तो इन नियमों की कोई जरूरत नहीं है।
CJI बोबडे ने कहा, 'ये मेडिकल से जुड़े मामले हैं हम इन मुद्दों को नहीं समझ सकते हालांकि केंद्र को इस बाबत नोटिस जारी कर जवाब मांगी गई है। कोर्ट ने मौजूदा रक्तदान से जुड़े दिशानिर्देशों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि बिना मामले को पूरी तरह समझे यह आदेश जारी नही करेगा।